कांग्रेस अपनी अस्तित्व की लड़ाई में जुटी
वीआईपी पार्टी के उम्मीदवार ने तारापुर सीट से आरजेडी के उम्मीदवार का समर्थन
इंडिया ब्लॉक के सहयोगी दलों के बीच संगठनात्मक असंतुलन और संबंधों में तनाव
लोकप्रियता के दृष्टिकोण से तेजस्वी यादव का जाना-पहचाना चेहरा
सभी दलों को 23 अक्टूबर तक स्पष्टता की उम्मीद
बिहार में इंडिया ब्लॉक के सहयोगी दलों के बीच के वर्तमान राजनीतिक हालात को लेकर कई महत्वपूर्ण बातें सामने आई हैं। जैसा कि चुनाव नजदीक हैं, संगठनात्मक असंतुलन और अंदरूनी झगड़ों ने सहयोगी दलों के बीच संबंधों में तनाव पैदा कर दिया है। यहाँ कुछ विवरण इस प्रकार है:
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डैमेज कंट्रोल मोड: बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान से पहले, सहयोगी दल एक-दूसरे के खिलाफ उम्मीदवार वापस ले रहे हैं। दिवाली के दिन, महागठबंधन के सहयोगी दल डैमेज कंट्रोल मोड में दिखे हैं और कुछ सीटों पर एक-दूसरे के खिलाफ खड़े उम्मीदवारों की घोषणाएँ वापस ली गई हैं.
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आंतरिक संघर्ष: कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के बीच रिश्ते में दरार आ गई है, जो चुनावी उम्मीदवारों के चयन में स्पष्ट रूप से देखी गई। आरजेडी ने 143 उम्मीदवारों की एक सूची पेश की थी, जिसमें अन्य सहयोगियों के लिए 100 सीटें छोड़ी गई थीं। हालांकि, ऐसी चार सीटें हैं जहां आरजेडी के उम्मीदवार इंडिया ब्लॉक के अन्य दलों के खिलाफ हैं.
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झामुमो का बाहर निकलना: झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने भारत के चुनाव से पीछे हटने का निर्णय लिया है, जिसे 'राजनीतिक षड्यंत्र' के तौर पर देखा जा रहा है। यह स्थिति भारत गठबंधन की स्थिरता को प्रभावित कर सकती है.
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उम्मीदवारों का समर्थन: कुछ सहयोगियों ने एक-दूसरे के उम्मीदवारों का समर्थन करते हुए अपने नामांकन वापस ले लिए हैं। उदाहरण के लिए, कांग्रेस के एक उम्मीदवार ने लालगंज सीट से अपना नामांकन वापस लिया, जिससे आरजेडी के उम्मीदवार को लाभ मिला। इसी तरह, वीआईपी पार्टी के उम्मीदवार ने तारापुर सीट से आरजेडी के उम्मीदवार का समर्थन किया.
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अगले चरण के लिए स्थिति: सभी दलों को 23 अक्टूबर तक स्पष्टता की उम्मीद है, जो दूसरे चरण के चुनावों के लिए उम्मीदवार वापसी की अंतिम तिथि है। इसके बाद, चुनावी गतिरोधों को सुलझाने में मदद मिल सकती है.
लोकप्रियता के दृष्टिकोण से तेजस्वी यादव का जाना-पहचाना चेहरा बिहार की आवाम में एक खास अपील रखता है, जबकि कांग्रेस अपनी अस्तित्व की लड़ाई में जुटी है। जहाँ एनडीए समीकरण मजबूत नजर आ रहे हैं, वहीं महागठबंधन भी अपने वोट बैंक को एकजुट करने से पीछे नहीं हट रहा है। बिहार की चुनावी स्थिति बेहद संवेदनशील और गतिशील बनी हुई है.
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