माननीय न्ययालय का निणर्य अग्निवीर योजना के विरोध में तोड़फोड़ और आगजनी के आलोक मे
प्रदर्शनकारियों व तोडफोडकर्ताओ से 12 लाख रुपये की वसूली
निणर्य पूर्ण व प्रशंसा के योग्य
विरोध का सर्वोत्तम उदाहरण गाधी जी का अहिंसा आन्दोलन है । टेलीकास्टटूडे
उत्तर प्रदेश अलीगढ़ 24 दिसंबर 2024
विरोध का सर्वोत्तम उदाहरण गाधी जी का अहिंसा आन्दोलन है । टेलीकास्टटूडे |
जहां प्रदर्शनकारियों व तोडफोडकर्ताओ ने सरकारी संपत्ति जैसे कि पुलिस चौकी में आग लगाना और वाहनों को क्षतिग्रस्त करना और नुकसान पहुंचाना के लिए विशेष वसूली निर्धारित की गई है ,
सबसे ज्यादा इस हिंसा का प्रकोप अलीगढ़ और आसपास के क्षेत्रों में रहा, जहां युवाओं ने व्यापक रूप से प्रदर्शन करते हुए कई सरकारी और निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया था। अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुये वसूली का आदेश प्रर्दशनो व तोडफोड के खिलाफ सख्त कार्रवाई का निणर्य लिया[
यह निर्णय प्रर्दशनो व तोडफोड से उत्पन्न आर्थिक नुकसान के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण कदम है और इसे प्रदर्शन प्रर्दशनो व तोडफोड कारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कदम है। सरकार ने घोषणा की है कि वह प्रर्दशनो व तोडफोड से उत्पन्न नुकसान की पूरी वसूली सुनिश्चित करेगी ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं पुन! न हो[
प्रिवेंशन ऑफ डैमेज टू पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट (Prevention of Damage to Public Property Act 1984). या सार्वजनिक संपत्ति नुकसान निवारण कानून 1984 के अनुसारअगर कोई व्यक्ति सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाता है, तो उसे पांच साल तक की सजा या जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं. सार्वजनिक संपत्ति के रूप में ऐसे भवन या संपत्ति को माना गया है, जिसका उपयोग जल, प्रकाश, शक्ति या ऊर्जा उत्पादन या वितरण में किया जाता है. इसके साथ ही कोई तेल प्रतिष्ठान, खान, कारखाना, सीवरेज, कोई लोक परिवहन या दूरसंचार साधन भी सार्वजनिक संपत्ति में आते हैं. वहीं अग्नि अथवा किसी विस्फोटक पदार्थ से सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले को दस साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है.
2007 में सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी और सार्वजनिक संपत्ति के बढ़ते नुकसान की घटनाओं को देखते हुए स्वतः संज्ञान लिया था. प्रिवेंशन ऑफ डैमेज टू पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट (Prevention of Damage to Public Property Act 1984) को प्रभावकारी बनाने के लिए दो उच्च स्तरीय समितियां बनायीं. 2009 में इन दोनों समितियों की महत्वपूर्ण सलाह पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी और सार्वजनिक संपत्ति की सुरक्षा के लिए दिशा निर्देश जारी किये थे. सुप्रीम कोर्ट के के अनुसार सरकारी और सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान होने पर सारी जिम्मेदारी आरोपी पर होगी. सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जस्टिस केटी थॉमस की अध्यक्षता वाली समिति ने 1984 के कानून में कुछ सख्त प्रावधान भी जोड़े. नियम बने कि विद्रोहों में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान की घटनाओं के लिए उसके नेता को जिम्मेदार ठहराया है. वहीं, आंध्र प्रदेश के एक मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कुछ साल पहले ये निर्देश दिये कि अगर किसी विरोध प्रदर्शन में बड़े स्तर पर संपत्तियों की तोड़फोड़ व नुकसान को अंजाम दिया जाता है तो हाई कोर्ट स्वतः संज्ञान लेते हुए घटना और नुकसान की जांच के आदेश दे सकता है.
टेलीकास्टटूडे के अनुसार माननीय न्ययालय का निणर्य उक्त के आलोक मे पूर्ण व प्रशंसा के योग्य है । राजनीति देश के उत्थान के लिये है । विरोध का सर्वोत्तम उदाहरण गाधी जी का अहिंसा आन्दोलन है ।
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