Hot Posts

20/recent/ticker-posts

युवाओं को रोजगार देने के लिए केन्द्रसरकार प्रतिबद्ध: किरेन रिजिजू केंद्रीय मंत्री भारत सरकार

 युवाओं को रोजगार देने के लिए केन्द्र सरकार प्रतिबद्ध: रिजिजू
प्रधान मंत्री  ने वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग से 71,000 से अधिक  नियुक्ति पत्र वितरित
देश मे  शिक्षित युवाओं में बेरोजगारी दर  28.7% तक
केवल 9.8% महिलाएं ही रोजगार या प्रशिक्षण प्राप्त
 रोजगार प्रदाता कार्यबल को ढूढे न कि कार्यबल रोजगार प्रदाता  को टंलीकास्टटुडे 

ईटानगर: 23 दिसंबर, 2024, 
ईटानगर: 23 दिसंबर, 2024 सोमवार को केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा है कि केन्द्र सरकार देश के युवाओं को रोजगार देने के लिए प्रतिबद्ध है। वह भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (पूर्वोत्तर सीमांत मुख्यालय) द्वारा आयोजित रोजगार मेले को संबोधित कर रहे थे। केंद्रीय सशस्त्र बलों के लिए चयनित उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र सौंपते हुए रिजिजू ने कहा, "रोजगार मेले के माध्यम से सरकार का लक्ष्य निष्पक्ष और पारदर्शी चयन से युवाओं को रोजगार प्रदान करना है।" नए भर्तियों को बधाई देते हुए, रिजिजू ने उन्हें 2047 तक विकसित भारत के सपने को साकार करने में योगदान दे । सोमवार को ने यह भी बताया कि प्रधान मंत्री ने वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से देश भर में विभिन्न विभागों के तहत विभिन्न नौकरियों के लिए चयनित 71,000 से अधिक सफल उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र वितरित किए।


भारत में बेरोजगारी एक गहरी और गंभीर समस्या बन चुकी है, जो न केवल आर्थिक विकास पर प्रभाव डालती है, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक स्थिरता को भी है। हाल के आंकड़ों के अनुसार, भारत में बेरोजगारी दर 3.2% जो 2022-23 के स्तर पर स्थिर है।
भारत में बेरोजगारी दर सबसे अधिक है, जहाँ स्नातक और उससे अधिक शिक्षित युवाओं में यह दर 28.7% तक है। भारत में शिक्षा का स्तर उन्नत होते हुए भी रोजगार के अवसर समुचित नहीं बन रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप युवा स्नातक नौकरी की तलाश में हैं।
महिलाओं की रोजगार भागीदारी दर पुरुषों की तुलना में बहुत कम है। केवल 9.8% महिलाएं ही रोजगार या प्रशिक्षण प्राप्त हैं, जो पुरुषों की तुलना में लगभग 5 गुना कम है ।
भारतीय में युवा आबादी बेरोजगारी दर 17% है, और महिला युवा श्रमिकों में 22.7% है
भारतीय श्रम बाजार में लैंगिक असमानता है। महिलाएं और युवा, दोनों ही की आर्थिक स्थिति में सुधार नहीं हो पा रहा है।
भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ती हुई दिखाई दे रही है, लेकिन इसका प्रत्यक्ष लाभ रोजगार के अवसरों पर नहीं पड़ रहा है। विशेषज्ञ यह मानते हैं कि भारतीय उद्योग में तकनीकी परिवर्तन के कारण श्रम-गहन उद्योग से पूंजी-गहन उद्योग की ओर बढ़ा है, जिससे नौकरी की संख्या में कमी आ रही है।सरकार द्वारा घोषित कई रोजगार नीतियों के बावजूद स्थिति में सुधार नहीं हुआ है। भ्रष्टाचार और प्रशासनिक अड़चनों के कारण प्रभावी नीतियों का कार्यान्वयन नहीं हो रहा है
शिक्षण संस्थानों को रोजगार उन्मुखी कार्यक्रमों को बढ़ावा देना चाहिए ताकि छात्रों को उद्योग की मांग के अनुसार प्रशिक्षित किया जा सके। सरकार को युवा उद्यमियों के लिए ऋण और प्रशिक्षण सुविधाएँ देकर स्वरोजगार को बढ़ावा देना चाहिए।
बेरोजगारी की समस्या से निपटने के लिए नीति-निर्माताओं को गंभीरता से काम करना होगा और प्रभावी नीतियों का क्रियान्वयन सुनिश्चित करना होगा। साथ ही सामाजिक सुरक्षा और कृषि आधारित रोजगार के विकल्पों को मजबूत किया जाए[
भारत में बेरोजगारी की समस्या एक व्यापक मुद्दा है, जिसमें आर्थिक सामाजिक और शैक्षिक कारक शामिल हैं,। रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है जिससे भारतीय युवा देश के उत्थान मे कर सके ।
टंलीकास्टटुडे के अनुसार भारत में बेरोजगारी की समस्या से निपटने के लिये ऐसे शिक्षण प्रशिक्षण की आवश्यकता है कि रोजगार प्रदाता कार्यबल को ढूढे न कि कार्यबल रोजगार प्रदाता को ।

Post a Comment

0 Comments