आम आदमी पार्टी सांसद संजय सिंह ने उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार पर सरकारी भर्तियों में जातिवाद और घोटाले के गंभीर आरोप:दोषियों को सजा देने और आरक्षण को पूरी तरह लागू करने की मांग

 ❖ उत्तर प्रदेश सरकार पर सरकारी भर्तियों में जातिवाद और घोटाले का आरोप 
❖ लखीमपुर सहकारी बैंक और बांदा कृषि विश्वविद्यालय  में ठाकुर जाति को प्राथमिकता 
  आरक्षण का उल्लंघन हो रहा है।
❖  दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों के अधिकारों को सवर्णों को देने का आरोप 
❖  प्रधानमंत्री  की चुप्पी आरक्षण व्यवस्था खत्म करने की साजिश का हिस्सा 
❖  दोषियों को सजा देने और आरक्षण को पूरी तरह लागू करने की मांग 
कानपुर: सितंबर 23, 2025
आम आदमी पार्टी (AAP) के सांसद संजय सिंह ने उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार पर सरकारी भर्तियों में जातिवाद और घोटाले के गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश के विभिन्न संगठनों जैसे लखीमपुर सहकारी बैंक और बांदा कृषि विश्वविद्यालय में विशेष जाति (ठाकुर) को प्राथमिकता दी जा रही है, जिससे पिछड़े, दलित और आदिवासी समुदायों के आरक्षण के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन हो रहा है।
संजय सिंह ने यह स्पष्ट किया कि योगी सरकार दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों के अधिकारों की नौकरियों को सवर्णों को दे रही है। उदाहरण के लिए, बांदा कृषि विश्वविद्यालय में 15 पदों पर भर्ती में 11 ठाकुर, 2 सामान्य और 2 दलित-पिछड़ों को नौकरी दी गई।उन्होंने सरकार की नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि एक ओर उत्तर प्रदेश का नौजवान भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक और लाठीचार्ज का सामना कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ मुख्यमंत्री और उनके करीबी लोग अपनी जाति के लोगों को नौकरियां देकर अन्य जातियों में असंतोष पैदा कर रहे हैं।
संजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी पर भी सवाल उठाया है। उन्होंने आरोप लगाया कि जो लोग खुद को पिछड़ों का नेता कहते हैं, वे इस “आरक्षण की लूट” पर चुप क्यों हैं, जबकि आरक्षण का अधिकार उन्हें दिलाना चाहिए। उन्होंने इसे भाजपा और आरएसएस की संविधान और आरक्षण व्यवस्था को खत्म करने की साजिश का हिस्सा बताया।
संजय सिंह ने उचित रूप से जांच कराने और दोषियों को सजा दिलाने की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि आरक्षण को पूरी तरह लागू किया जा सके
 उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर यह भेदभाव जारी रहा तो भाजपा को अन्य जातियों के गुस्से का सामना करना पड़ सकता है। संजय सिंह की टिप्पणियाँ उत्तर प्रदेश में सरकारी भर्ती प्रक्रियाओं में उठ रहे गंभीर जातिवाद और भ्रष्टाचार के मुद्दों पर प्रकाश डालती हैं, जो न केवल सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हैं, बल्कि सामाजिक न्याय के प्रश्नों को भी बढ़ावा देते हैं।

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