कानपुर नगर निगम जीआईएस सर्वे में करीब एक लाख घर हाउस टैक्स दायरे के लिए चिन्हित : चालू वित्तीय वर्ष में 1,000 करोड़ वसूली लक्ष्य, गृहकर के मद में 8,00 करोड़ रुपये

जीआईएस सर्वे में करीब एक लाख घरों को हाउस टैक्स के दायरे के लिए चिन्हित
वित्तीय वर्ष 2024-25 में जून माह में 10 करोड़ रुपये की राजस्व वसूली 
चालू वित्तीय वर्ष में अब तक 32 करोड़ रुपये की राजस्व प्राप्ति
रूमा, चकेरी और पनकी औद्योगिक क्षेत्रों में वसूली न होने से करीब 25 करोड़ का  नुकसान 
 नगर निगम और जलकल विभाग ने चालू वित्तीय वर्ष में 1,000 करोड़  वसूली का लक्ष्य
गर निगम गृहकर के मद में 8,00 करोड़ रुपये वसूलेगा
कानपुर 14 जून, 2025
13 जून, 2025 कानपुर: कानपुर नगर निगम द्वारा कराए गए जीआईएस सर्वे में करीब एक लाख घरों को हाउस टैक्स के दायरे में लाने के लिए चिन्हित किया गया है, यह जानकारी अपर नगर आयुक्त जगदीश यादव ने शुक्रवार को राजस्व विभाग की बैठक में महापौर प्रमिला पांडेय को दी।
महापौर ने पहले जीआईएस सर्वे में कई अनियमितताओं को उजागर किया था और सर्वे से संबंधित आपत्तियों को प्राप्त करने और उनका तुरंत समाधान करने के लिए प्रत्येक जोन में एक समर्पित कर्मचारी नियुक्त करने का सुझाव दिया था।
कानपुर में इस पर गृहकर वसूली डेढ़ गुना होगी। नगर निगम और जलकल विभाग ने चालू वित्तीय वर्ष में 1,000 करोड़ रुपये वसूली का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसमें से नगर निगम गृहकर के मद में 8,00 करोड़ रुपये वसूलेगा। गृहकर में बढ़ोत्तरी जीआईएस सर्वे में बढ़े एक लाख भवनों, पुराने बकायेदारों से रिवकरी से होगी। नगर निगम के राजस्व कर्मी मकानों का सत्यापन कराकर नोटिस भेजेंगे।
 नगर आयुक्त सुधीर कुमार ने महापौर के निर्देशों के बाद घरों को भेजे गए नोटिस और संबंधित वसूली के बारे में अधिकारियों को निर्देश दिए। प्रमुख बकाएदारों की संख्या और तुलनात्मक वसूली विवरण की समीक्षा के लिए एक और बैठक आयोजित की जाएगी।  जीआईएस सर्वे में शामिल एक लाख घरों में से कितने घरों को नोटिस मिले हैं, वसूली के आंकड़े और अन्य संबंधित मुद्दे पर भी विचार किया जाएगा। अधिकारियों के अनुसार किसी भी तरह की ढिलाई बरतने पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। बैठक के दौरान मुख्य कर निर्धारण अधिकारी अनिरुद्ध सिंह ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में जून माह में 10 करोड़ रुपये की राजस्व वसूली हुई, जबकि चालू वित्तीय वर्ष में अब तक 32 करोड़ रुपये की राजस्व प्राप्ति हुई है। नगर निगम ने बताया कि रूमा, चकेरी और पनकी औद्योगिक क्षेत्रों में वसूली न होने से करीब 25 करोड़ रुपये का वार्षिक राजस्व नुकसान का अनुमान है। नगर आयुक्त सुधीर कुमार ने बताया कि उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीएसआईडीसी) ने औद्योगिक क्षेत्रों में पुरानी व्यवस्था को कायम रखने का अनुरोध किया था। बाद में महापौर ने राजस्व वसूली को लेकर जलकल अधिकारियों के साथ बैठक की।
भौगोलिक सूचना प्रणाली सर्वेक्षण, या जीआईएस सर्वेक्षण, दृश्य प्रारूप में भू-स्थानिक डेटा को कैप्चर, प्रबंधित, विश्लेषण और प्रदर्शित करने के लिए कंप्यूटर सॉफ्टवेयर, हार्डवेयर और डेटा अधिग्रहण तकनीकों का एकीकरण है।
आधुनिक दुनिया को आकार देने में जीआईएस सर्वेक्षण महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह मानचित्र बनाने के साथ यह दक्षतापूर्ण नियोजन, बेहतर निर्णय लेने और स्थितिजन्य जागरूकता बढ़ाने के लिए आवश्यक है।  वह संसाधन आवंटन, विकास परियोजनाओं या आपातकालीन प्रतिक्रिया के लिए जीआईएस के माध्यम से भौगोलिक स्थान को समझने से संगठनों और सरकारों को सूचित निर्णय लेने में मदद मिलती है।
भूमि सर्वेक्षण संपत्ति की सीमा निर्धारित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं, और जीआईएस तकनीक भूमि सर्वेक्षण के लिए सटीक माप और विस्तृत जानकारी प्रदान करके इसे बढ़ाती है। यह कुशल संपत्ति प्रबंधन की अनुमति देता है और बड़े पैमाने पर परियोजनाओं का समर्थन करता है जिनके लिए सटीक स्थानिक जानकारी की आवश्यकता होती है।
जीआईएस प्रौद्योगिकी के माध्यम से वास्तविक समय पर डेटा संग्रहण, विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्रों और स्थानों की पहचान करके आपदाओं पर त्वरित प्रतिक्रिया करने में सक्षम बना  तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता होती है।
भौगोलिक डेटा को  जीआईएस के माध्यम से मैप कर प्राकृतिक संसाधनों की निगरानी और प्रबंधन में सहायता मिलती है, जिससे सतत विकास और पारिस्थितिकी संरक्षण में योगदान मिलता है।
शहरी नियोजन में जीआईएस कार्य विभिन्न भौगोलिक परिवर्तनों को ध्यान में रखते हुए स्थानों का कुशल उपयोग सुनिश्चित करता है तथा टिकाऊ शहरों के निर्माण में मदद करता है।
जीआईएस स्थलाकृतिक सर्वेक्षणों के माध्यम से समय-सारिणी से लेकर रखरखाव कार्यक्रम तक  भौगोलिक विशेषताओं और अन्य स्थानों का विस्तृत दृश्य प्रदान करके परिवहन और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का समर्थन करता है।
 जीआईएस पुरातत्वविदों को उत्खनन स्थलों से डेटा एकत्र कर अतीत को वर्तमान में मानचित्रित  करने में सहायता कर  हमारी सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण सुनिश्चित होता है।

Post a Comment

0 Comments