भारत में विदेश से प्राप्त डिग्रियों की मान्यता प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाने के लिए एक नया ढांचा लागू किया गया है।जल्दी और कुशलता से अपने विदेशी डिग्री प्रमाणपत्रों की मान्यता प्राप्त करने में सहायता करेगा

 विदेशी विश्वविद्यालय से पढ़ रहे छात्रो के लिये यूजीसी ने की नए नियमों की घोषणा

मुख्य उद्देश्य विदेश में माध्यमिक शिक्षा पूरी करने वाले छात्रों के लिए भारत में शिक्षा की प्रक्रिया को सरल बनाना
मेडिकल, फार्मेसी, नर्सिंग, लीगल और आर्किटेक्ट जैसे पाठयक्रम नियम से बाहर
नए नियम छात्रों को अपार संभावनाएँ प्रदान कर भारत की शिक्षा प्रणाली को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत करेंगे।
कानपुर 8, अप्रैल, 2025
8, अप्रैल, 2025 नई दिल्ली यूजीसी के नए नियमों के तहत, भारत में विदेश से प्राप्त डिग्रियों की मान्यता प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाने के लिए एक नया ढांचा लागू किया गया है। यह नियम, जिसे UGC (Recognition and Grant of Equivalence to Qualifications Obtained from Foreign Educational Institutions) Regulations, 2025 कहा जाता है, विद्यार्थियों को जल्दी और कुशलता से अपने विदेशी डिग्री प्रमाणपत्रों की मान्यता प्राप्त करने में सहायता करेगा.
विदेशी यूनिवर्सिटी से पढ़ाई कर रहे छात्रो के लिये विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने शनिवार को विदेशी संस्थानों से प्राप्त शैक्षणिक योग्यताओं को मान्यता देने और समकक्ष योग्यता मुहैया कराने के लिए नए नियमों की घोषणा की है. यूजीसी ने 2025 के लिए विदेशी शैक्षणिक संस्थानों से प्राप्त योग्यताओं को मान्यता और समकक्षता प्रदान करने संबंधी नियम जारी किए हैं. इन नियमों के तहत विदेशी संस्थानों के ऑफशोर कैंपस से प्राप्त योग्यताओं को मान्यता दी जा सकती है, अगर वे निर्धारित मानकों को पूरा करते हैं.
इन नए नियमों के तहत विदेशी स्कूल-स्तर की योग्यताएं जो अंडर ग्रेजुएट और समकक्ष प्रोग्रामों के लिए भारतीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए उपयोग की जा सकती हैं. इसे भी निर्धारित की गई हैं. इसका मुख्य उद्देश्य विदेश में माध्यमिक शिक्षा पूरी करने वाले छात्रों के लिए भारत में शिक्षा की प्रक्रिया को सरल बनाना है. हालांकि, यह फ्रैंचाइज़िंग सिस्टम के माध्यम से प्राप्त योग्यताओं पर लागू नहीं होगा, क्योंकि इन्हें समकक्षता के लिए योग्य नहीं माना जाएगा.
ये नियम उन भारतीय छात्रों के लिए फायदेमंद होंगे, जो विदेश में पढ़ाई कर रहे हैं और भारत में अपनी आगे की शैक्षणिक या प्रोफेशनल सफर जारी रखना चाहते हैं. हालांकि, मेडिकल, फार्मेसी, नर्सिंग, लीगल और आर्किटेक्ट जैसे प्रोफेशनल पाठयक्रम इस नियम से बाहर हैं, क्योंकि इन क्षेत्रों में संबंधित वैधानिक परिषदों के जरिए मानक तय होते हैं.
मुख्य बिंदु:
पारदर्शी और ऑनलाइन प्रक्रिया: अब छात्र एक ऑनलाइन पोर्टल पर अपनी डिग्री और पाठ्यक्रम की जानकारी अपलोड कर सकेंगे, और यूजीसी की विशेषज्ञ समिति इस जानकारी की जांच करके 10 कार्यदिवसों में सिफारिश करेगी.
समतुल्यता प्रमाणपत्र: छात्रों को अब उन विदेशी संस्थानों से पढ़ाई करने पर इक्विलेंस सर्टिफिकेट के लिए आवेदन नहीं करना पड़ेगा, जिनके साथ भारत सरकार या यूजीसी का समझौता किया गया है.
भविष्य के लिए सुविधाएं: यह नई प्रणाली छात्रों को आसानी से अपनी पढ़ाई जारी रखने या भारत में रोजगार प्राप्त करने में मदद करेगी। इससे न केवल विदेशी छात्रों की संख्या में वृद्धि होगी, बल्कि भारतीय शिक्षा प्रणाली को वैश्विक मानकीकरण की दिशा में भी एक कदम आगे बढ़ाएगी.
व्यावसायिक डिग्रियाँ: ध्यान देने योग्य बात यह है कि चिकित्सा, फार्मेसी, नर्सिंग, कानून, आर्किटेक्चर जैसे कुछ पेशेवर पाठ्यक्रमों की डिग्रियों की मान्यता पर ये नियम लागू नहीं होंगे, क्योंकि इन क्षेत्रों में पहले से बने अलग-अलग नियामक होते हैं.
संरचनात्मक सुधार: यूजीसी के अध्यक्ष प्रो. एम. जगदीश कुमार ने कहा कि इस प्रक्रिया का उद्देश्य भारत को शिक्षा का वैश्विक केंद्र बनाना है और इससे इंटरनेशनल क्वालिफिकेशन वाले छात्रों की स्थिति में सुधार होगा.
यूजीसी द्वारा लागू किए गए ये नए नियम छात्रों को अपार संभावनाएँ प्रदान कर भारत की शिक्षा प्रणाली को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत करेंगे।

Post a Comment

0 Comments