- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 50% टैरिफ लगाने से भारतीय निर्यातकों के लिए चुनौती
- प्रोफेसर मनीषा के अनुसार भारत घरेलू खपत बढ़ाकर नुकसान की भरपाई कर सभव
- भारत की कुल उत्पादन का लगभग 80% घरेलू बाजार में खपत
- विशेष संपर्क कार्यक्रमों और मुक्त व्यापार समझौतों से नए बाजारों की खोज करने की योजना
कानपुर : 29 अगस्त 2025
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ ने भारतीय निर्यातकों के लिए एक बड़ी चुनौती उत्पन्न की है, लेकिनभारत अपनी घरेलू खपत बढ़ाकर इस स्थिति का मुकाबला कर सकता है। प्रोफेसर मनीषा के अनुसार घरेलू खपत को बढ़ावा देकर भारत कुछ हद तक अमेरिकी व्यापार में हुए नुकसान की भरपाई कर सकता है।भारत की कुल उत्पादन का लगभग 80% घरेलू बाजार में खपत होता है, जबकि निर्यात का हिस्सा केवल 20% है। इससे स्पष्ट होता है कि अगर भारत अपने स्थानीय उपभोग को बढ़ाने में सफल होता है, तो वह अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को कम कर सकता है। भारत की तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और उपभोक्ता बाजार इसे इस प्रकार की चुनौतियों का सामना करने की क्षमता प्रदान करते हैं।
भारत सरकार ने विशेष संपर्क कार्यक्रमों की योजना बनाई है, जिसमें प्रमुख देशों के साथ व्यापार को बढ़ावा देने के लिए संपर्क किया जाएगा। इसके अलावा, भारत ने नए बाजारों की तलाश के लिए कई मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) पर हस्ताक्षर किए हैं, जिससे अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को कम करने की कोशिश की जा रही है।अमेरिकी टैरिफ से श्रम-प्रधान उद्योग जैसे वस्त्र, आभूषण और समुद्री उत्पादों को गंभीर आलोचना का सामना करना पड़ सकता है। ये क्षेत्र अमेरिका के बड़े आयातक हैं, और इन पर अधिक निर्भरता के कारण नुकसान होने की संभावना है।
अमेरिका में भारतीय उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाने का प्रभाव उन अमेरिकी उपभोक्ताओं पर भी पड़ेगा, जो पहले से ही महंगाई से प्रभावित हो रहे हैं। उच्च टैरिफ का अर्थ है कि आयात की लागत बढ़ जाएगी, जिससे अमेरिकी बाजार में कीमतें बढ़ेंगी और महंगाई बढ़ सकती है।
भारत घरेलू खपत बढ़ाकर और नए बाजारों की खोज कर अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को कम कर सकता है। इसे श्रम-प्रधान उद्योगों में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन मजबूत घरेलू खपत मददगार हो सकती है।
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