राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की शताब्दी समारोह के दौरान राष्ट्र के योगदान पर उठा सवाल :अंग्रेजों के साथ दोस्ताना संबंधों' की ओर इशारा: कांग्रेस ने 'आजादी के लिए लड़ाई लड़ी

• आरएसएस और विनायक दामोदर सावरकर की भूमिका पर सवाल
• उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंग्रेजों का समर्थन किया।
• सावरकर ने अंग्रेजों से माफी मांगी थी और उनकी निष्ठा ब्रिटिश साम्राज्य के प्रति
• आरएसएस स्वतंत्रता संग्राम से दूर रहा।
• अंग्रेजों के लिए हिंदुओं को भर्ती करने का काम किया।
• आजादी के संघर्ष की व्याख्या राजनीतिक विभाजन को दर्शाता है।
कानपुर : अक्टूबर 1, 2025

अक्टूबर 1, 2025: नई दिल्ली: कांग्रेस ने बुधवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की शताब्दी समारोह के दौरान राष्ट्र के योगदान पर सवाल उठा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और विनायक दामोदर सावरकर की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस का कहना है कि आरएसएस और सावरकर ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंग्रेजों के साथ खड़े होकर देश के स्वतंत्रता सेनानियों का विरोध किया। यह चर्चा इस बात को लेकर है कि कांग्रेस ने सावरकर को 'गद्दार' और आरएसएस को विभाजन की राजनीति में संलग्न ठहराया है, जबकि कांग्रेस ने आजादी के लिए संघर्ष किया.
सावरकर की भूमिका: देश की सबसे पुरानी पार्टी ने इतिहास को खंदा कर आरएसएस के विचारक वीडी सावरकर के 'अंग्रेजों के साथ दोस्ताना संबंधों' की ओर इशारा किया, जबकि कांग्रेस ने 'आजादी के लिए लड़ाई लड़ी.' , आरएसएस अंग्रेजों के साथ खड़ा रहा। सावरकर पर आरोप है कि उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ काम करने की बजाय उनके साथ सहयोग किया। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि सावरकर ने कई बार अंग्रेजों से माफी मांगी और यह साबित करता है कि उनकी निष्ठा ब्रिटिश साम्राज्य के प्रति थी। इसके अलावा, उनकी भतीजी के अनुसार, सावरकर की दृष्टि में भारत केवल हिंदुओं के लिए थी, जो उनके 'हिंदुत्व' के सिद्धांत में भी स्पष्ट है.
आरएसएस का क्रियाकलाप: कांग्रेस ने यह भी रेखांकित किया है कि आरएसएस स्वतंत्रता संग्राम के समय चुप रहा और कभी भी मुख्यधारा के संघर्ष का हिस्सा नहीं बना। आरएसएस ने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान सक्रिय रूप से भाग नहीं लिया और गोलवलकर ने इसे एक संकल्प के रूप में स्वीकारा था कि संघ कुछ भी नहीं करेगा।
राजनीतिक संदर्भ: छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के प्रवक्ता शैलेश नितिन त्रिवेदी ने भाजपा और आरएसएस से यह भी पूछा कि उनके पितृपुरुष सावरकर ने अंग्रेजी सेना में हिंदुओं को भर्ती कराने का काम क्यों किया और उनकी भूमिका आजादी के लिए लड़े लोगों के खिलाफ क्यों थी。उन्होंने ट्वीट किया, 'आरएसएस, देश को बांटने वाला संगठन: आजादी के समय में इसके नेता न तो जेल गए और न ही अंग्रेजों ने उन पर कभी प्रतिबंध लगाया। 1942 में जब अंग्रेजों के खिलाफ 'भारत छोड़ो आंदोलन' के दौरान पूरा देश जेल में था, तब आरएसएस इस आंदोलन को दबाने में अंग्रेजों की मदद कर रहा था।
ताजा बयान देश ने स्वतंत्रता संग्राम की 75वीं वर्षगांठ मनाई है, और यह उनकी ओर से आरएसएस और सावरकर की भूमिका की आलोचना को दर्शाता है। उल्लेखनीय है कि सावरकर की छवि हिंदू राष्ट्रवादियों के बीच एक नायक के रूप में स्थापित की गई है, जबकि उनके खिलाफ कांग्रेस और अन्य पार्टियों की आलोचना उनकी ब्रिटिशराज के प्रति निष्ठा को को इंगित करती है।
बयानों ने स्पष्ट किया है कि कांग्रेस और भाजपा-आरएसएस के बीच आजादी के संघर्ष की व्याख्या को लेकर गहरी राजनीतिक विभाजन अभी भी बना हुआ है।

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