• पूर्व सपा विधायक इरफान सोलंकी की रिहाई के बाद नए संकट।
• ED ने सोलंकी और सहयोगियों को तलब किया।
• बांग्लादेशी नागरिक को भारतीय पहचान पत्र में मदद का आरोप।
• सोलंकी पर 18 मुकदमे, 10 में जमानत मिली।
• 2022 जाजमऊ आगजनी मामले में 7 साल की सजा।
• ED ने 30 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध संपत्ति जब्त की।
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• कानूनी जगत में उनकी स्थितियों पर नजर।कानपुर : 01 अक्टूबर 2025
इरफान सोलंकी पूर्व समाजवादी पार्टी (सपा) विधायक की रिहाई के बाद उनके खिलाफ नए संकट उत्पन्न हो गए हैं। वे 34 महीने जेल में रहने के बाद हाल ही में जमानत पर बाहर आए हैं, लेकिन उनकी रिहाई के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उन पर शिकंजा कसा है। 
रिहाई के विवरण
30 सितंबर 2025 को, इरफान सोलंकी को महाराजगंज जेल से रिहा किया गया। उन्हें गैंगस्टर एक्ट के तहत लंबी अवधि के बाद जमानत मिली थी। उनकी रिहाई के समय, उनका परिवार और समर्थक जेल के बाहर उनका स्वागत करने के लिए मौजूद थे। 
नए संकट का सामना
जेल से बाहर आने के तुरंत बाद, ED ने सोलंकी और उनके करीबी सहयोगियों को तलब किया है। उन पर यह आरोप लगाया जा रहा है कि उन्होंने एक बांग्लादेशी नागरिक को भारतीय पहचान पत्र प्राप्त करने में मदद की और संदिग्ध वित्तीय लेन-देन किए। ED ने हाल ही में उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है। 
आरोपों का विवरण
सोलंकी पर कुल 18 मुकदमे दर्ज हैं, जिनमें से 10 में उन्हें जमानत मिल चुकी है। उनका केस विशेष रूप से 2022 में जाजमऊ में आगजनी के मामले से जुड़ा है, जिसमें उन्हें 2024 में सात साल की सजा सुनाई गई थी। आश्चर्य की बात यह है कि उनकी विधायकी भी इसी कारण से समाप्त हुई।
ED की कार्रवाई में 30 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध संपत्ति जब्त की गई थी। इसकी जांच 2024 में की गई थी, जिसके बाद इरफान और उनके कई सहयोगियों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए थे।
इरफान सोलंकी की रिहाई ने उन्हें एक नई शुरूआत दी है, लेकिन उनके भविष्य पर लगाने वाले मुकदमे और ED की जाँच निश्चित रूप से उनके लिए और अधिक चुनौतीपूर्ण हो सकती है। उनके समर्थक इस सनसनीखेज घटनाक्रम के बीच उनके न्याय की जीत का जश्न मना रहे हैं, जबकि कानूनी जगत में उनकी स्थितियों पर नजर रखी जा रही है।


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