भारत निर्मित टैंक ज़ोरावर का मिसाइल फायरिंग परीक्षण सफल: 2027 में सेना का रास्ता साफ़

लद्दाख और अरुणाचल जैसे उच्च ऊंचाई के क्षेत्रों में के लिए डिज़ाइन
ज़ोरावर का वजन 25  टन
2025 में प्रारंभ यूजर ट्रायल को 12 से 18 महीने तक चलने की संभावना
चीन के टाइप-15 टैंक के साथ मुकाबला करने के लिए तैयार
समकक्ष टैंक  T-72 और T-90 की तुलना में अधिक सक्रिय

कानपुर:17 अक्टूबर 2025
भारत निर्मित टैंक ज़ोरावर ने महत्वपूर्ण मिसाइल फायरिंग परीक्षण में सफलता प्राप्त की है, जिससे 2027 में इसे भारतीय सेना में शामिल करने का रास्ता साफ़ हो गया है। यह हल्का टैंक विशेष रूप से उच्च ऊंचाई के क्षेत्रों में तैनात करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जैसे कि लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश। इसका विकास रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और लार्सन एंड टुब्रो (L&T) द्वारा किया गया है.
ज़ोरावर के विशेषताओं:
वजन और आकार: ज़ोरावर का वजन 25 टन है, जो इसे भारी टैंकों की तुलना में अधिक गतिशील और तैनाती में आसान बनाता है.
हथियार प्रणाली: इसमें 105 मिमी की मुख्य तोप और नाग Mk II एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल लॉंचर जैसी उन्नत हथियार प्रणाली शामिल हैं.
गतिशीलता: यह टैंक ख़ासकर पहाड़ी इलाकों में बेहतर प्रदर्शन के लिए डिज़ाइन किया गया है, जहाँ इसके भव्य टैंक समकक्ष जैसे T-72 और T-90 की तुलना में यह अधिक सक्रियता से कार्य कर सकता है.
परीक्षण और विकास:
ज़ोरावर हल्का टैंक दिसंबर 2024 में 4200 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर परीक्षण के दौरान सफल प्रदर्शन कर चुका है। इसके बाद, इसे भारतीय सेना द्वारा यूजर ट्रायल के लिए लद्दाख में भेजा जाएगा.
2025 में प्रारंभ होने वाले इन यूजर ट्रायल को 12 से 18 महीने तक चलने की संभावना है, जिसके परिणाम स्वरूप 2027 में ज़ोरावर को भारतीय सेना में शामिल किया जा सकता है.
 ज़ोरावर टैंक न केवल भारतीय सेना की ताकत को बढ़ाएगा, बल्कि आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी साबित होगा। यह चीन के टाइप-15 टैंक के साथ मुकाबला करने के लिए तैयार किया गया है, जो लद्दाख और अन्य ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भारतीय रणनीति को और सशक्त बनाएगा.

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