- प्रदोष काल स्वर्णिम समय जब देवी लक्ष्मी अपने भक्तों के घरों में प्रवेश करती
- प्रदोष काल: शाम 5:46 बजे से रात 8:18 बजे तक।
- महा-शुभ मुहूर्त: लक्ष्मी पूजन समय, शाम 7:08 बजे से 8:18 बजे तक।
प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजन के महत्व और मुहूर्त
प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजन का महत्व हिंदू धर्म में बहुत अधिक माना जाता है, विशेष रूप से दिवाली के अवसर पर। इस काल में मां लक्ष्मी के पृथ्वी पर भ्रमण करने की मान्यता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष काल शाम के समय, सूर्यास्त के लगभग दो घंटे बाद आता है, और इसे दिन और रात के संधि काल के समान माना जाता है जब दिव्य ऊर्जा का प्रवाह अधिक होता है।
प्रदोष काल का महत्व
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लक्ष्मी का भ्रमण: इसे स्वर्णिम समय माना जाता है जब देवी लक्ष्मी अपने भक्तों के घरों में प्रवेश करती हैं। इस काल में पूजा करने से घर में धन, समृद्धि और सुख-शांति का वास होता है।
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शास्त्रीय निर्देश: हिन्दू शास्त्रों में कहा गया है कि दीपावली पर लक्ष्मी पूजन और दीपदान का विधान प्रदोष काल में किया जाना चाहिए। इस समय मां लक्ष्मी की कृपा सबसे अधिक होती है, जो धन और ऐश्वर्य की देवी मानी जाती हैं。
पूजा का सही मुहूर्त
2025 में लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त निम्नलिखित है:
- प्रदोष काल: शाम 5:46 बजे से रात 8:18 बजे तक।
- महा-शुभ मुहूर्त: लक्ष्मी पूजन हेतु विशेष समय, शाम 7:08 बजे से 8:18 बजे तक।
लक्ष्मी पूजन के लाभ
- धन और समृद्धि: मां लक्ष्मी की पूजा से घर में आर्थिक समृद्धि बनी रहती है।
- सुख-शांति: भगवान गणेश के साथ उनकी पूजा करने से ज्ञान और विवेक भी प्राप्त होता है, जो घर में शांति का कारण बनता है।
- पापों का नाश: प्रदोष काल में दीप जलाकर पूजा करने से जीवन में नकारात्मकता का नाश होता है।
प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि यह भक्ति और आस्था के साथ किया गया एक विशेष अनुष्ठान है, जो जीवन में समृद्धि और सुख लाने में सहायक है।
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