डॉ लोकेश शुक्ला, लाजपत नगर, कानपुर
वस्त्र उद्योग उत्पादन क्षेत्र का सर्वाधिक कुशल और अकुशल श्रमशक्ति का रोजगार प्रदाता है। देश की जीडीपी में 10% से अधिक, 9.79% निर्यात में और कुल रोजगार में लगभग 8 % भागीदारी है। लगभग 4.5 करोड़ सीधे और अन्य 6 करोड़ संबद्ध क्षेत्रों में कार्यरत हैं। रेशा, सूत और कपड़े के उत्पादन में विश्व का दूसरा सबसे बड़ा उद्योग, व मानव निर्मित रेशे के उत्पादन में भारत पांचवें स्थान पर है। भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एडवांस टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन फंड योजना के अंतर्गत वर्ष 2016-2022 के दौरान ₹1 लाख करोड़ के निवेश आकर्षित करने के लिए ₹17822 करोड़ आवंटित किए गए थे। मानव निर्मित रेशे, धागे, कपडे, परिधान और तकनीकी वस्त्रों के उत्पादन के लिए ₹19000 करोड़ के विदेशी निवेश, खुदरा क्षेत्र की वृद्धि, निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने के लिए आवंटित है।
हमारे देश की 140 करोड़ जनसंख्या में 45 करोड़ से अधिक युवा रोजगार की तलाश मे है। जिससे 21.9% जनसंख्या गरीबी रेखा की सीमा के नीचे हैं।
भारत देश के घरेलू बाजार मे विदेशी कपड़ों के उपयोग को रोकने के प्रयास, 100% विदेशी विनिवेश की सीमा अगले 5 वर्षो में 20 लाख करोड़ के उद्योग में 10 लाख करोड़ के निर्यात वाला उद्योग के रूप मे विकसित करते हुए देश मे 35.62 लाख रोजगारों का सृजन प्रस्तावित है। देश के वस्त्र उद्योग में व्यापक रोजगार सृजन क्षमता है। जिसमें देश की बेरोजगारी और गरीबी उन्मूलन की विस्तृत सम्भावनाएं है
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