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दयानन्द एंग्लो वैदिक कालेज, कानपुर प्रथम प्राचार्य लाला दीवानचन्द विश्व का एक मात्र संस्थान जहाॅ के छात्र प्रधानमन्त्री व राष्ट्रपति थे ।

 दयानन्द एंग्लो वैदिक कालेज कानपुर स्थापना के 105 सालो के बाद भी  विजन और मिशन पर अडिग सफलता के आवश्यक घटकों को एकीकृत   ज्ञान प्रबंधन को मुख्य अनुशासन अपनाते हुए सीखना और नवाचार की सतत प्रक्रिया मे लिप्त व अभ्यासरत 

राम नाथ कोविन्द पूर्व राष्ट्रपति अटल बिहारी वाजपेयी  पूर्व प्रधानमन्त्री

कानपुर आर्यसमाज मेस्टन रोड कानपुर का पचास वर्ष का इतिहास संवत १९८६ पुस्तक के अनुसार 11 जुलाई, 1919 शिक्षा जगत का महात्वपुर्ण ऐतिहासिक दिन था। महान शिक्षक, ऋषि और आर्यसमाज आंदोलन के अग्रणी, परम पूज्य महात्मा हंसराजजी द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के साथ कॉलेज की स्थापना की थी। वह पंजाब और दिल्ली में कई शैक्षणिक संस्थानों के संस्थापक रहे थे। उनका तप, त्याग, सहायता, शिक्षा सर्मपण दूरदर्शी क्षमता ने  गंगा नगरी कानपुर को अटल सौभाग्य व विकास का पथ अग्रसर व अध्याय स्थपित किया था।

आर्यसमाज का पचास वर्ष का इतिहास संवत १९८६ पुस्तक

लाला दीवानचन्द जी एम ए जो डी ए वी कालेज लाहौर के लाइफ मेम्बर और फिलासफी के प्रोफेसर को प्रथम प्राचार्य नियुक्त किया गया था । कॉलेज के संस्थापक प्राचार्य लालादीवान चंद विद्वान, शिक्षाविद्, समाज सुधारक और महान स्वतंत्रता सेनानी, अग्रणी कॉलेज का नेतृत्व करने वाले थे । कानपुर मे उनका निवास होने क कारण वह आर्य समाज के सभासद भी निर्वाचित हुए उनकी योग्यता व विद्वता पूर्ण प्रभावशाली व्याख्यान सुनने के लिये कानपुर सहित प्रान्त तथा बाहर के लोग आतुर रहते थे  आर्य समाज के प्रत्येक कार्य मे लाला दीवानचन्द जी ने निरन्तर बड़े उत्साह से भाग लिया करते थे  उनकी प्रेरणा समाज व शिक्षा से योजित लोगों का  स्त्रोत थी। कॉलेज की स्थापना के बाद छात्रों को गुणवत्ता शिक्षा प्रदान करने के लिए अथक अटल अनवरत प्रयास किया। उनका चिंतन छात्रों को जिम्मेदार नागरिक और समाज में सर्मपित नागरिकता का स्रजन था।

प्रथम प्राचार्य लाला दीवानचन्द
कॉलेज का स्वतंत्रता संग्राम व राष्ट्र प्रेम की भावना जगाने में बड़ा योगदान रहा है। स्वतंत्रता संग्राम के समय छात्रावास देशभक्ति गतिविधियों का मुख्य केंद्र था। छात्रों की सक्रिय भगीदारी कर हिन्दू  मुस्लिम सिक्ख इसाई आपस मे है  भाई भाई के नारे को आगे बढाया। प्रसिद्ध काकोरी केस के आरोपी स्वर्गीय शिव वर्मा, श्री सुरेंद्र पांडे, श्री राम स्वरुपषुक्ला पी. सी. यस.,जयदेव कपूर और महादेव सिंह आदी इसी कॉलेज के छात्र थे । महान शहीद पं. सालिग्राम शुक्ल की प्रतिमा परिसर मे स्थपित है जो देश के सर्मपण का उदाहरण प्रख्यापित करती है।
1928 में महात्मा गांधी जी ने कालेज की यात्रा की थी जिससे तात्कालिक छात्रो को देशभक्ति भावना का संदेश  मिला था। छात्रो ने गांधीजी के नेतृत्व में चल रहे आन्दोलन में बढ़-चढ़कर भाग लिया। गांधीजी ने सुबह-सुबह संबोधन किया था जिसे सुनने के लिए एकत्रित हुए छात्रों का सैलाब आश्चर्यजनक उत्साहवर्घक और देश भक्ति का जोश भर देश के लिये जान देने की शपथ था ।
महात्मा गांधी जी1928

 कॉलेज का प्रबंधन दयानंद एंग्लो वैदिक विद्यालय ट्रस्ट एवं मैनेजिंग सोसाइटी द्वारा किया जाता है। राय बहादुर आनंद स्वरूप, डाॅ बृजेन्द्र स्वरूप, श्री जवाहर लाल रोहतगी, श्री चिरासेन, श्री देवेन्द्र स्वरूप एवं डाॅ. वीरेंद्र स्वरूप के कालेज के याोगदान ने कॉलेज कोे विश्व स्तरीय बनाया। इन संस्थापको का विश्वास था कि सच्ची शिक्षा ही राष्ट्र विकास व जागृति का ठोस आधार है। कॉलेज के संस्थापक आर्य समाज की अवधारण से ओत प्रोत राष्ट्र के निर्माण को सर्मपित थे । स्वतंत्रता के बाद छात्रो की संख्या में वृद्धि हुई। उनकी शैक्षणिक आकांक्षाओं को पूरा करने के लिये महान शिक्षाविद् डा. वीरेंद्रस्वरूप ने शिक्षा को बढ़ावा देने में  शिक्षा के मशाल वाहक के रूप में उत्तर प्रदेश में शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना करके  अथक अनवरत आजीवन अन्तिम सांस तक प्रयास किया।
डी.ए-वी. कॉलेज के छात्रों ने सभी क्षेत्रों प्रशासन, शिक्षा, कला, राजनीति और खेल जगत आदी मे अपना नाम प्रख्यापित और प्रशंसा प्राप्त की है। महान छात्रों में पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी प्रख्यात राष्ट्रीय नेता, विद्वान राजनीतिज्ञ, एक निस्वार्थ सामाजिक कार्यकर्ता, ओजस्वी वक्ता, कवि और साहित्यकार, पत्रकार और बहुआयामी राष्ट्र के प्रति पूर्ण सर्मपित व्यक्तित्व थे ।
    
पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी 
 प्रबंधन बोर्ड के सचिव के डॉ. नागेंद्र स्वरूप उच्च शिक्षा के क्षेत्र में योगदान के लिए भारतीय विज्ञान कांग्रेस एसोसिएशन द्वारा स्वर्ण पदक सम्मानित ने भी सस्थान के संस्थापको की दृष्टि को आगे बढाया ।
डॉ. नागेंद्र स्वरूप भारतीय विज्ञान कांग्रेस द्वारा स्वर्ण पदक सम्मानित 
इसकी स्थापना के बाद से 105 सालो के बाद भी कॉलेज अपने विजन और मिशन पर अडिग है। कॉलेज ने सफलता के आवश्यक घटकों को एकीकृत करने की क्षमता है । ज्ञान प्रबंधन को मुख्य अनुशासन अपनाते हुए सीखना और नवाचार की सतत प्रक्रिया मे लिप्त व अभ्यासरत हैं।
यह छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय पूर्व में कानपुर विश्वविद्यालय द्वारा सम्बद्ध है।,
पूर्व छात्र जिन्हे ख्याति प्राप्त की ।
अटल बिहारी वाजपेयी भारत के पूर्व प्रधानमन्त्री
राम नाथ कोविन्द भारत के वर्तमान राष्ट्रपति
राकेश सचान, सांसद व वर्तमान कैबिनेट मन्त्री
सुखराम सिंह सासद
श्रीप्रकाश जायसवाल पूर्व सांसद एवं कैबिनेट मंत्री भारत सरकार
सर्वेश शुक्ला मोन्टू संस्थापक सदस्य ग्रामीण बैक वर्कस अर्गनाइजेशन
सुरेन्द्र नाथ पान्डेय, राम स्वरुप शुक्ल पी. सी. यस., गणेश शंकर विद्वयारथी स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी
वीरेन्द्र ललित फ़िल्म निर्देशक

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