अंत्येष्टि कल 28 दिसंबर, 2024,
अंतिम यात्रा 9.30 बजे कांग्रेस मुख्यालय से आरम्भ होगी ,
श्रद्धांजलियो की सुनामी
उनका पार्थिव शरीर सुबह 8 बजे से उनके आवास से कांग्रेस मुख्यालय लाया जाएगा, जहाँ लोग उन्हें अंतिम दर्शन देने के लिए उपस्थित होंगे। इसके पश्चात, उनकी अंतिम यात्रा राजघाट के निकट सम्पन्न होगी, जहाँ उन्हें पूर्ण राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा।
मनमोहन सिंह का निधन देश में शोक की लहर लेकर आया है, और राष्ट्रपति, पीएम, उपराष्ट्रपति सहित विभिन्न नेताओं ने उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की है। सरकार ने उनके निधन पर 7 दिनों के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है
डॉ. मनमोहन सिंह का योगदान भारतीय अर्थव्यवस्था और राजनीति में बहुत महत्वपूर्ण रहा है, और उनका निधन एक बड़ी क्षति है।
मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत के गाह गांव में हुआ था। वह कपड़े के दुकानदार गुरमुख सिंह और उनकी पत्नी अमृत कौर की पहली संन्तान थे।
गाँव के लोग उन्हें प्यार से "मोहना" कहकर पुकारते थे, जबकि उनके बचपन की यादें बड़े पेड़ के नीचे गिल्ली-डंडा, कंचे और कबड्डी खेलते समय बिताई गईं। तब, 2004 में जब वह भारत के प्रधानमंत्री बने, तो उनके पुराने दोस्तों में उनकी यादे ताजा हो गयी।
उनका राजनीतिक करियर कई महत्वपूर्ण पदों पर रहा, जिनमें भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर, भारत के वित्त मंत्री और दो बार प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। 1991 के आर्थिक सुधारों में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही, जिसने भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया।
मनमोहन सिंह का निधन 26 दिसंबर 2024 को दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में हुआ, जहाँ उन्हें उम्र से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं के कारण भर्ती कराया गया था।
उनके कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण कानून, जैसे शिक्षा का अधिकार कानून, सूचना का अधिकार और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून, लागू किए गए।
मनमोहन सिंह को उनकी विनम्रता, विद्या और ईमानदारी के लिए याद किया जाएगा। उनके निधन पर कई नेताओं ने श्रद्धांजलि अर्पित की और उन्हें भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण नुकसान माना।
पार्थिव शरीर सुबह 8 बजे से उनके आवास से कांग्रेस मुख्यालय लाया जाएगा
कपड़े के दुकानदार गुरमुख सिंह और उनकी पत्नी अमृत कौर की पहली संन्तान थे।
गाँव के लोग उन्हें प्यार से "मोहना" कहकर पुकारते थे,
गाँव के लोग उन्हें प्यार से "मोहना" कहकर पुकारते थे,
कानपुर:26 दिसंबर, 2024
नई दिल्ली 28 दिसंबर, 2024 पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का निधन 26 दिसंबर 2024 को हुआ। उनकी अंतिम यात्रा 28 दिसंबर 2024 को सुबह 9:30 बजे कांग्रेस मुख्यालय से आरंभ होगी।
उनका पार्थिव शरीर सुबह 8 बजे से उनके आवास से कांग्रेस मुख्यालय लाया जाएगा, जहाँ लोग उन्हें अंतिम दर्शन देने के लिए उपस्थित होंगे। इसके पश्चात, उनकी अंतिम यात्रा राजघाट के निकट सम्पन्न होगी, जहाँ उन्हें पूर्ण राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा।
मनमोहन सिंह का निधन देश में शोक की लहर लेकर आया है, और राष्ट्रपति, पीएम, उपराष्ट्रपति सहित विभिन्न नेताओं ने उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की है। सरकार ने उनके निधन पर 7 दिनों के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है
डॉ. मनमोहन सिंह का योगदान भारतीय अर्थव्यवस्था और राजनीति में बहुत महत्वपूर्ण रहा है, और उनका निधन एक बड़ी क्षति है।
मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत के गाह गांव में हुआ था। वह कपड़े के दुकानदार गुरमुख सिंह और उनकी पत्नी अमृत कौर की पहली संन्तान थे।
गाँव के लोग उन्हें प्यार से "मोहना" कहकर पुकारते थे, जबकि उनके बचपन की यादें बड़े पेड़ के नीचे गिल्ली-डंडा, कंचे और कबड्डी खेलते समय बिताई गईं। तब, 2004 में जब वह भारत के प्रधानमंत्री बने, तो उनके पुराने दोस्तों में उनकी यादे ताजा हो गयी।
उनका राजनीतिक करियर कई महत्वपूर्ण पदों पर रहा, जिनमें भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर, भारत के वित्त मंत्री और दो बार प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। 1991 के आर्थिक सुधारों में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही, जिसने भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया।
मनमोहन सिंह का निधन 26 दिसंबर 2024 को दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में हुआ, जहाँ उन्हें उम्र से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं के कारण भर्ती कराया गया था।
उनके कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण कानून, जैसे शिक्षा का अधिकार कानून, सूचना का अधिकार और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून, लागू किए गए।
मनमोहन सिंह को उनकी विनम्रता, विद्या और ईमानदारी के लिए याद किया जाएगा। उनके निधन पर कई नेताओं ने श्रद्धांजलि अर्पित की और उन्हें भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण नुकसान माना।
डॉ. मनमोहन सिंह का योगदान भारतीय अर्थव्यवस्था और राजनीति में बहुत महत्वपूर्ण रहा है, और उनका निधन एक बड़ी क्षति है। उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा, और वह भारतीय अर्थव्यवस्था में किए गए सुधारों के लिए भी सराहे जाएंगे ।
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