उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग सुनवाई का यह कार्यक्रम सोमवार को इन्दिरा भवन लखनऊ में सम्पन्न
आयोग के अध्यक्ष, श्री बैजनाथ रावत जी व सदस्य रमेश चन्द्र कुन्डे सहित अन्य सदस्यो ने प्रदेश के विभिन्न जनपदों से आए लोगों की समस्याओं को सुना
निरन्तर निष्पक्ष नारी न्याय सर्वोच्च प्राथमिकता श्री बैजनाथ रावत व श्री रमेश चन्द्र कुंडे
लखनऊ दिनांक 23 दिसंबर 2024,
उत्तर प्रदेश लखनऊ दिनांक 23 दिसंबर 2024, सोमवार को उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग के , लखनऊ कार्यालय में वादों की जन सुनवाई का आयोजन किया गया। इस सुनवाई में आयोग के अध्यक्ष, श्री बैजनाथ रावत जी व सदस्य रमेश चन्द्र कुन्डे सहित अन्य सदस्यो ने प्रदेश के विभिन्न जनपदों से आए लोगों की समस्याओं को सुना। सुनवाई का यह कार्यक्रम इन्दिरा भवन लखनऊमें हुआ, जहाँ अध्यक्ष जी ने अपने सहयोगी सदस्य, रमेश चन्द्र कुन्डे और श्रीमती नीरज गौतम जी के साथ मिलकर विभिन्न समस्याओं का समाधान किया।
इस सुनवाई मे समस्याओं का समाधान निकालने हेतु सक्रिय विचार विमर्श किया गया, ताकि तात्कालिक प्रभावी कार्रवाई की जा सके। बैजनाथ रावत जी और उनके सहयोगियों ने सुनिश्चित किया कि सभी व्यक्तियों को अपनी समस्याओं उठाने का पूरा अवसर मिले[
श्री बैजनाथ रावत व सदस्य रमेश चन्द्र कुन्डे सहित अन्य सदस्यो और अन्य वरिष्ठ पदाधिकारियों ने अपना दल (यस) के कार्यालय में विधायिका श्रीमती सरोज कुरील से भी मुलाकात की। इस अवसर पर उपस्थित अन्य महत्वपूर्ण व्यक्तियों में अतुल सिंह कठेरिया और मुकेश कठेरिया शामिल रहे[
आयोग का गठन भारत के संविधान के अनुच्छेद 200 के अधीन किया गया था, जिसका प्रमुख उद्देश्य अनुसूचित जातियों और जनजातियों के अधिकारों की रक्षा करना है आयोग का कार्य 1995 से जारी है और यह प्रदेश में सामाजिक न्याय सुनिश्चित करता है[
श्री रमेश चन्द्र कुंडे सदस्य आयोग ने चर्चा मे कहा कि समाज की सेवा करना सौभाग्य है। शक्तियों का प्रयोग समाज के उपेक्षित एवं पीड़ित व्यक्तियों को संविधान के अनुसार न्याय दिलाकर डा अम्बेदकर को याद करना है । आयोग समाज के सहयोग के लिए सदैव उपलब्ध है। उपेक्षितों की पीड़ा का निराकरण ही आयोग की सफलता है। वर्तमान मे आयोग में दो उपाध्यक्ष में बेचन राम और जीत सिंह खरवार व 19 सदस्यीय आयोग के पदाधिकारीगण न्याय दिलाने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे है। आयोग के सभी सदस्य कदम से कदम मिलाकर आयोग के संज्ञान में आये मामलों का अन्वेषण एवं अनुश्रवण करते हुए न्याय दिलाना सुनिश्चित करते है। अति गंभीर प्रकृति के मामलों में आयोग द्वारा निष्पक्ष न्याय के लिये स्थलीय निरीक्षण के बाद कार्यवाही करता है ।
श्री रमेश चन्द्र कुंडे सदस्य आयोग ने निरन्तर निष्पक्ष नारी न्याय को सर्वोच्च प्राथमिकता बताया ।
आयोग को किसी वाद का विचारण करने में सिविल न्यायालय को प्राप्त सभी शक्तियां प्राप्त है जैसे किसी व्यक्ति को बुलाने और उपस्थिति के लिए बाघ्य करने और शपथ पर उसकी परीक्षा करना, किसी दस्तावेज के प्रकटीकरण और पेश किये जाने की अपेक्षा करना, शपथ पत्र पर साक्ष्य प्राप्त करना,किसी न्यायालय या कार्यालय से सार्वजनिक अभिलेख या उसकी प्रति की अपेक्षा करना, साक्षियों और दस्तावेजों के परीक्षण करने के लिए कमीशन जारी करना, .किसी अन्य विषय में जो विहित किया जाये ।
0 Comments