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भारत सरकार अधिनियम 1935 के मुख्य प्राविधान भारत का संविधान अधिनियम 1935 का विस्तार

 भारत का संविधान भारत सरकार अधिनियम 1935 का विस्तार

भारत सरकार अधिनियम 1935 को ब्रिटिश संसद द्वारा पारित अधिनियम 1 अप्रैल 1937 से लागू
 केंद्रीय विधायी सभा की स्थापना काग्रेस की पहली मांग थी ।
सभा में 375 सदस्य थे, जिनमें  250 सदस्य ब्रिटिश भारत के और 125 सदस्य देशी राज्यों के प्रतिनिधि 


भारत का संविधान भारत सरकार अधिनियम 1935 का विस्तार है, जो ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत में शासन की व्यवस्था के लिए बनाया गया था। यह अधिनियम भारतीयों को अधिक स्वायत्तता और प्रतिनिधित्व प्रदान करने के लिए बनाया गया था, लेकिन इसमें अभी भी ब्रिटिश सरकार की शक्तियाँ और नियंत्रण बना हुआ था।
भारत सरकार अधिनियम 1935 को ब्रिटिश संसद द्वारा पारित किया गया था और यह अधिनियम 1 अप्रैल 1937 से लागू हुआ था। इस अधिनियम के अन्तर्गत, भारत को एक संघीय राज्य बनाया गया था, जिसमें ब्रिटिश भारत और देशी राज्यों को शामिल किया गया था। अधिनियम ने 
ब्रिटिश सरकार की शक्तियों और नियंत्रण में भारतीयों को विधायी और कार्यकारी शक्तियाँ प्रदान कीं, 
भारत सरकार अधिनियम 1935 के मुख्य प्रावधानों में  एक था केंद्रीय विधायी सभा की स्थापना, जो काग्रेस पहली मांग थी । इस सभा में 375 सदस्य थे, जिनमें से 250 सदस्य ब्रिटिश भारत के प्रतिनिधि थे और 125 सदस्य देशी राज्यों के प्रतिनिधि थे। अधिनियम  ब्रिटिश सरकार को  वीटो शक्ति के साथ भारतीयों को विधायी शक्तियाँ प्रदान  गई थी।
 ब्रिटिश सरकार की शक्तियों और नियंत्रण  रखते हुये भारत सरकार अधिनियम 1935 ने भारतीयों को प्रशासनिक शक्तियाँ  प्रदान कीं। अधिनियम ब्रिटिश सरकार के  नियंत्रण पर   प्रांतीय सरकारों की स्थापना की जाती थीं
भारत सरकार अधिनियम 1935 का महत्व इस प्रकार है कि यह अधिनियम भारतीयों को स्वायत्तता और प्रतिनिधित्व प्रदान करने के लिए बनाया गया था, लेकिन इसमें अभी भी ब्रिटिश सरकार की शक्तियाँ और नियंत्रण बना हुआ था। यह अधिनियम भारतीय संविधान के विकास में एक महत्वपूर्ण कदम था, जो भारत की स्वतंत्रता के बाद बनाया गया था।

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