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डायसी के विधि के शासन की परिकल्पना या 'विधि का शासन' डा. लोकेश शुक्ल कानपुर 945012595

  डायसी के विधि के शासन की परिकल्पना या  'विधि का शासन'

डा. लोकेश शुक्ल  कानपुर 9450125954


डायसी के विधि के शासन की परिकल्पना या  'विधि का शासन'  की आधारशिला फ्रांसीसी दार्शनिक मोंटेस्क्यू द्वारा रखी गई थी।  यह सिद्धांत सामाजिक और आर्थिक जीवन के सभी क्षेत्रों में समान नैतिक और न्यायिक मानदंडों का पालन करने की मांग करता है,  संप्रभु (राजा/सरकार) या शक्तिशाली लोग आम जनता से ऊपर न हो सकें।
डायसी के विधि के शासन की परिकल्पना
डायसी के विधि के शासन की परिकल्पना अधिकार, स्वतंत्रता और न्याय के बुनियादी सिद्धांतों पर आधारित है। यह सिद्धांत ब्रिटिश संविधान का  महत्वपूर्ण हिस्सा है और  शासन में कानून की सर्वोच्चता को स्थापित करता है।
विधि के शासन की प्रमुख अवधारणाएँ
कानून की सर्वोच्चता:
डायसी के अनुसार, राज्य के शासन और नागरिकों के अधिकार केवल कानून के माध्यम से ही संचालित होने चाहिए। सरकारी अधिकारियों का कार्य भी कानून के दायरे में होना चाहिए।
कानून के समक्ष समानता:
यह सिद्धांत बताता है कि हर व्यक्ति, चाहे वह आम नागरिक हो या कोई सरकारी अधिकारी, कानून के समक्ष समान है। किसी को भी विशेष अधिकार या छूट नहीं मिलनी चाहिए।
व्यक्तिगत अधिकारों की सुरक्षा:
डायसी के अनुसार, नागरिकों के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए और  कार्य कानून के माध्यम से किया जाना चाहिए।
डायसी के सिद्धांतों की आलोचना
डायसी के विधि के शासन की परिकल्पना को व्यापक रूप से स्वीकृति मिली है, लेकिन इसकी कुछ आलोचनाएँ भी  हैं:
लगाव आंतरविरोधी संरचना: आलोचक कहते हैं कि यह परिकल्पना सैद्धांतिक है और इसे व्यावहारिक रूप से लागू करना कठिन  है।
सरकारी अधिकारियों की भूमिका: डायसी के सिद्धांत में सरकारी अधिकारियों के विवेकाधिकार को पूरी तरह से नकारा गया है।
सामाजिक और आर्थिक व्यापकता: यह सिद्धांत सामाजिक और आर्थिक असमानताओं को ध्यान में नहीं रखता।
डायसी के विधि के शासन की परिकल्पना आज भी शासन और कानून के बीच संबंध के अध्ययन में उपयोगी  है।  यह परिकल्पना आदर्शवादी  है, इसे व्यावहारिक रूप से लागू करने की चुनौतियाँ  हैं। यह  कानूनी प्रणाली के लिए  नींव  है।

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