विनोद कुमार शुक्ल, हिंदी के अनुभवी लेखक, कवि और उपन्यासकार, को वर्ष 2024 के लिए 59वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा

जन्म 1 जनवरी 1937 को छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में 
 पहली कविता, 'लगभग जयहिंद', 1971 में प्रकाशित 
विनोद कुमार शुक्ल को दो वर्ष पहले पचास हज़ार डॉलर का प्रतिष्ठित पेन/नेबाकोव अवार्ड मिला था,
कानपुर 23, मार्च, 2025
 22, मार्च, 2025 छत्तीसगढ़ विनोद कुमार शुक्ल, हिंदी के अनुभवी लेखक, कवि और उपन्यासकार, को वर्ष 2024 के लिए 59वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। यह पुरस्कार उन्हें हिंदी साहित्य में उनके अद्वितीय योगदान, सृजनात्मकता और विशिष्ट लेखन शैली के लिए दिया जा रहा है। वे छत्तीसगढ़ से सम्मान को प्राप्त करने जा रहे पहले लेखक हैं।
विनोद कुमार शुक्ल का जन्म 1 जनवरी 1937 को छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा  आरम्भ कर नागपुर विश्वविद्यालय से हिंदी में स्नातकोत्तर डिग्री  प्राप्त की।
उनके प्रमुख उपन्यासों में 'नौकर की कमीज' और 'दीवार में एक खिड़की रहती थी' शामिल हैं। इनकी रचनाएं आम जीवन की बारीकियों को सरल और गहरी संवेदनशीलता के साथ व्यक्त करती हैं। उनकी लेखनी साहित्य में मनुष्यीय अनुभूतियों, सामाजिक संरचनाओं, और अस्तित्ववादी प्रश्नों पर जोर देती है।
शुक्ल की पहली कविता, 'लगभग जयहिंद', 1971 में प्रकाशित हुई थी, और उनके कार्यों में गहरी संवेदनशीलता, सरल भाषा और मौलिकता शामिल है। उन्होंने बताया कि उन्हें लेखन के माध्यम से अपने जीवन का पीछा करना है, और पुरस्कार मिलने से उन्हें अपने कार्य की जिम्मेदारी का एहसास होता है।
ज्ञानपीठ पुरस्कार, जिसे भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा प्रस्तुत किया जाता है, भारतीय भाषाओं में उत्कृष्ट रचनात्मक योगदान देने वाले लेखकों को प्रदान किया जाता है। इस पुरस्कार के अंतर्गत 11 लाख रुपये की राशि, वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है।
 22, मार्च, 2025 सोशल मीडिया पोस्ट के अनुसार
विनोद कुमार शुक्ल को दो वर्ष पहले जब पचास हज़ार डॉलर का प्रतिष्ठित पेन/नेबाकोव अवार्ड मिला था, तब नवभारत टाइम्स में यह आलेख लिखा था । तब तक उन्हें ग्यारह लाख रुपए के ज्ञानपीठ पुरस्कार की घोषणा नहीं हुई थी ।
विनोद कुमार शुक्ल की रचनाएं लेखन शैली और उनके विचारों ने हिंदी साहित्य को विशेष स्थान प्रदान कर साधारण लोगों की भावनाओं का गहरा प्रतिबिंब प्रस्तुत किया हैं।
अध्ययन, अद्भुत विचार और लेखन के प्रति उनकी प्रतिबद्धता हिंदी साहित्य दुनिया में उनके योगदान को प्रमाणित करती है।

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