भगवान हनुमान जन्मोत्सव 12 अप्रैल को पंचांग के अनुसार चैत्र मास की पूर्णिमा की शुरुआत सुबह 3:21 मिनट पर समापन 13 अप्रैल 5:51 मिनट पर

 पिता केसरी और माता अंजनी के पुत्र हनुमान का साल में दो बार 
 एक बार चैत्र पूर्णिमा पर 
 दूसरी बार कार्तिक माह की कृष्ण चतुर्दशी को उन्हें अमरता का वरदान मिलता है.
हनुमान जयंती का पहला शुभ मुहूर्त सुबह 7:34 बजे से 9:12 बजे तक
 दूसरा शुभ मुहूर्त शाम 6:46 बजे से 8:08 बजे तक 
कानपुर 11, अप्रैल, 2025
 11, अप्रैल, 2025 
कानपुर  
हनुमान जी का जन्म मंगलवार को हुआ था। इसी वजह से हर मंगलवार हनुमान जी की विशेष पूजा की जाती है। इसके अलावा शनिवार भी हनुमान जी को प्रिय है। हनुमान जन्मोत्सव चैत्र मास की पूर्णिमा पर मनाई जाती है। त्रेता युग में इस तिथि पर सुबह-सुबह हनुमान जी का जन्म हुआ था। उस दिन मंगलवार था। इनके पिता केसरी और माता अंजनी थीं। हनुमान जी महादेव का रूद्र अवतार हैं। हनुमान जी महाराज को अलौकिक और दिव्य शक्तियां प्राप्त हैं। उन्हें बल, बुद्धि, विद्या का दाता कहा जाता है। हनुमान जी महाराज के पास अष्ट सिद्धि और नवनिधि हैं। शिव पुराण के अनुसार हनुमान जी ही शिवजी के 11वें अवतार हैं। हनुमान जी को पवन पुत्र के नाम से भी जाना जाता है और उनके पिता वायु देव भी माने जाते हैं।
 वैदिक पंचांग के अनुसार चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत सुबह 3:21 मिनट पर हो जायेगी। इसका समापन 13 अप्रैल 5:51 मिनट पर होगा। हनुमान जयंती 12 अप्रैल को ही मनाई जाएगी।
इस वर्ष 12 अप्रैल 2025 (शनिवार) को मनाई जाएगी। हनुमान जयंती पर्व हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है और इसे बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। हनुमान जी को संकटमोचन, पवन पुत्र, अंजनि सूत आदि नामों से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, यह दिन हनुमान जी के जन्म का प्रतीक माना जाता है, और इस दिन उनकी पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
हनुमान जयंती का शुभ मुहूर्त



हनुमान जयंती पर पूजा का पहला शुभ मुहूर्त सुबह 7:34 बजे से 9:12 बजे तक होगा, और दूसरा शुभ मुहूर्त शाम 6:46 बजे से 8:08 बजे तक रहेगा.
हनुमान जयंती पर क्या करें

हनुमान जयंती के अवसर पर भक्तजन विशेष पूजा, उपासना और व्रत रखते हैं। इस दिन हनुमान चालीसा, सुंदरकांड का पाठ करना महत्वपूर्ण माना जाता है। पूजा विधि इस प्रकार है:
पूजा स्थान की तैयारी: पूजा के लिए एक स्वच्छ स्थान पर हनुमान जी की मूर्ति या चित्र को रखें। लाल वस्त्र बिछा कर मूर्ति या चित्र को दक्षिण मुंह करके स्थापित करें।
दीप जलाएं: घी का दीपक लगाएं और चंदन की अगरबत्ती जलाएं।
सिंदूर और पुष्प अर्पित करें: हनुमान जी को लाल फूल और नारंगी सिंदूर अर्पित करें।
भोग अर्पित करें: लड्डू या बूंदी का प्रसाद चढ़ाएं।
आरती करें: दीपक से 9 बार घुमाकर आरती करें और 'ऊं मंगलमूर्ति हनुमते नमः' मंत्र का जाप करें।
हनुमान जयंती का महत्व

हनुमान जयंती का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि ज्योतिषीय दृष्टि से भी अत्यधिक है। इस वर्ष हनुमान जयंती पंचग्रही योग में मनाई जा रही है, जो 57 सालों बाद बन रहा है। इस दिन सूर्य, बुध, शुक्र, शनि और राहु मीन राशि में संयोजित होंगे, जो इस दिन की पूजा को विशेष फलदायी बनाता है.
भगवान हनुमान को महादेव का 11वां अवतार भी माना जाता है। हनुमान जी की पूजा करने और व्रत रखने से हनुमान जी का आर्शीवाद प्राप्त होता है और जीवन में किसी प्रकार का संकट नहीं आता हैऔर हनुमान जी को संकट मोचक भी कहा गया है। जिन लोगों की कुंडली में शनि अशुभ स्थिति में हैं या फिर शनि की साढ़ेसाती चल रही है, उन लोगों को हनुमान जी की पूजा करना चाहिए। ऐसा करने से शनि ग्रह से जुड़ी दिक्कतें दूर हो जाती है। हनुमान जी को मंगलकारी कहा गया है, इसलिए इनकी पूजा जीवन में मंगल लेकर आती हैं।
अष्ट चिरंजीवियों में से एक हैं हनुमानजी
धर्म ग्रंथों में 8 ऐसे पौराणिक पात्रों के बारे में बताया गया है, जिन्हें अमर माना जाता है। हनुमानजी भी इनमें से एक है। इस संबंध में एक श्लोक भी मिलता है। उसके अनुसार…
अश्वत्थामा बलिव्यासो हनूमांश्च विभीषण:।
कृप: परशुरामश्च सप्तएतै चिरजीविन:॥
सप्तैतान् संस्मरेन्नित्यं मार्कण्डेयमथाष्टमम्।
जीवेद्वर्षशतं सोपि सर्वव्याधिविवर्जित।।
अर्थ- अश्वथामा, दैत्यराज बलि, महर्षि वेद व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, परशुराम और मार्कण्डेय ऋषि, ये 8 अमर हैं। रोज सुबह इनका स्मरण करने से निरोगी शरीर और लंबी आयु मिलती है।
दो बार मनाने की परंपरा
हनुमान जयंती को साल में दो बार मनाने का कारण यह है कि एक बार चैत्र पूर्णिमा पर हनुमान जी का जन्म होता है और दूसरी बार कार्तिक माह की कृष्ण चतुर्दशी को उन्हें अमरता का वरदान मिलता है.
हनुमान जयंती का पर्व भक्तों के लिए महत्वपूर्ण उन्हें संकटों से मुक्ति दिलाता है। इस अवसर पर की गई पूजा और आस्था भक्तों के जीवन में सुख और समृद्धि लाने का एक महत्वपूर्ण साधन है².

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