100 से ज्यादा याचिकाओ में से 10 याचिकाओं को सुनवाई के लिए चुना
अधिनियम के प्रमुख प्रावधानों में'वक्फ बाय यूजर' (विलंबित संपत्तियों का वक्फ) की मान्यता,
वक्फ प्रशासनिक निकायों में गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति,
और राज्य को संपत्तियों की वक्फ या सरकारी संपत्ति की पहचान की शक्ति सौंपने के प्रावधान
सुप्रीम कोर्ट ने किसी भी अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार
सुनवाई अगले दिन भी जारी
कानपुर 16, अप्रैल, 2025
16 अप्रैल 2025 नई दिल्ली: वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 पर सर्वोच्च न्यायलय की सुनवाई शुरू हुई। इस कानून के खिलाफ 100 से ज्यादा याचिकाओ में से 10 याचिकाओं को सुनवाई के लिए चुन संवैधानिक वैधता पर सुनवाई शुरू की। सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से सख्त टिप्पणी करते हुए कहा, “आप अतीत को नहीं बदल सकते।” प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन और न्यायमूर्ति पीवी संजय कुमार की पीठ ने केंद्र से कई अहम सवाल पूछे।
वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के टॉप 10 प्रमुख बिंदु वक्फ-बाय-यूज़र की पंजीकरण प्रक्रिया पर सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि ‘वक्फ-बाय-यूज़र’ संपत्तियों को कैसे पंजीकृत किया जाएगा, जब उनके पास जरूरी दस्तावेज नहीं होंगे। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि यदि ऐसे वक्फ को डिनोटिफाई किया गया, तो यह गंभीर समस्या उत्पन्न कर सकता है।
वक्फ संपत्तियों की डिनोटिफिकेशन प्रक्रिया पर आपत्ति
न्यायालय ने यह भी कहा कि जो संपत्तियाँ वक्फ घोषित की गई हैं, चाहे वह अदालत द्वारा घोषित हों या उपयोगकर्ता द्वारा, उन्हें डिनोटिफाई नहीं किया जा सकता।
“आप अतीत को फिर से नहीं लिख सकते”- मुख्य न्यायाधीश
मुख्य न्यायाधीश ने केंद्र सरकार को स्पष्ट शब्दों में कहा, “यदि कोई सार्वजनिक ट्रस्ट 100 या 200 वर्ष पहले वक्फ घोषित किया गया था, तो अब आप इसे वक्फ बोर्ड द्वारा अधिग्रहित करके कुछ और नहीं बना सकते।” यह टिप्पणी सरकार द्वारा वक्फ की वर्तमान व्यवस्था में बदलाव के प्रयासों पर की गई।
वास्तविक और फर्जी मामलों में संतुलन की आवश्यकता
न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा कि “कुछ मामलों में दुरुपयोग हो सकता है, लेकिन कुछ वास्तविक वक्फ भी हैं। यदि सभी को निरस्त कर दिया गया, तो यह समस्या उत्पन्न करेगा।”
वक्फ अधिनियम पर बढ़ती हिंसा पर चिंता
सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम को लेकर हो रही हिंसा पर गहरी चिंता जताई। मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “हिंसा अत्यंत चिंताजनक है। मामला न्यायालय के समक्ष है और हम निर्णय लेंगे।”
गुरुवार को भी जारी रहेगी सुनवाई
कोर्ट ने कहा कि वक्फ अधिनियम की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई गुरुवार को भी जारी रहेगी।
संसद में पारित हुआ वक्फ (संशोधन) अधिनियम, राष्ट्रपति की मंजूरी
केंद्र सरकार ने हाल ही में वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 को अधिसूचित किया। यह अधिनियम 5 अप्रैल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी के बाद प्रभावी हुआ। संसद में इस विधेयक को लेकर तीखी बहस हुई थी।
राज्यसभा और लोकसभा में विधेयक को लेकर विभाजन
राज्यसभा में यह विधेयक 128 वोटों से पारित हुआ जबकि 95 सदस्यों ने विरोध किया। लोकसभा में 288 सदस्य समर्थन में थे जबकि 232 ने विरोध किया।
72 याचिकाएं कुल दाखिल हुई
इस अधिनियम को चुनौती देने वाली 72 याचिकाएं दायर की गई हैं, जिनमें AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB), जमीयत उलेमा-ए-हिंद, DMK और कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी तथा मो. जावेद शामिल हैं।
केंद्र ने दायर की कैविएट
8 अप्रैल को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल की, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी भी आदेश से पूर्व उसे सुना जाए। वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को लेकर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई अब अन्तिम चरणो पर है। इस महत्वपूर्ण मामले पर देश की शीर्ष अदालत की अगली टिप्पणी का इंतजार रहेगा, जो गुरुवार को जारी रहेगी। इस अधिनियम के प्रमुख प्रावधानों में 'वक्फ बाय यूजर' (विलंबित संपत्तियों का वक्फ) की मान्यता, वक्फ प्रशासनिक निकायों में गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति, और राज्य को संपत्तियों की वक्फ या सरकारी संपत्ति की पहचान की शक्ति सौंपने के प्रावधान शामिल हैं.
कानूनी मुद्दे और अदालत के सवाल
'वक्फ बाय यूजर' की अवधारणा ऐसी संपत्तियों को संदर्भित है, जो लंबे समय से धार्मिक या धर्मार्थ कार्यों के लिए इस्तेमाल की जा रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने यह सवाल उठाया कि इनमें से कितनी संपत्तियों के पास औपचारिक दस्तावेज़ हैं, और यदि इन संपत्तियों को 'डिनोटिफाई' किया गया तो यह गंभीर समस्याएँ पैदा कर सकता है.
गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति: अदालत ने केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति के प्रावधान की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाया। जस्टिस खन्ना ने पूछा कि क्या मुसलमानों को हिंदू धार्मिक ट्रस्टों में शामिल होने की अनुमति दी जाएगी.
संशोधन अधिनियम के अनुसार, कोई संपत्ति तब तक वक्फ नहीं मानी जाएगी जब तक कि कलेक्टर उसकी वैधता की जांच नहीं कर लेता। इस पर कोर्ट ने चिंता व्यक्त की कि क्या यह प्रक्रिया उचित है, और क्या इससे संपत्तियों के उपयोग पर रोक लगाई जाएगी.
सुप्रीम कोर्ट ने किसी भी अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर स्पष्ट किया कि यदि 'वक्फ बाय यूजर' को समाप्त किया गया, तो यह कई धार्मिक संपत्तियों की कानूनी स्थिति को प्रभावित कर सकता है। इस संबंध में सुनवाई अगले दिन भी जारी रहने की बात कही गई.
वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के खिलाफ विभिन्न मुस्लिम संगठनों और राजनीतिक दलों द्वारा विरोध प्रदर्शन होने लगे हैं। इस संशोधन का उद्देश्य वक्फ प्रणाली में सुधार लाना बताया जा रहा है, लेकिन इसका परिणाम यह हो सकता है कि संवैधानिक विवाद और सामाजिक तनाव में वृद्धि हो.
सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया और निर्णय का भारत के मुस्लिम समुदाय और ट्रस्ट प्रबंधन पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। आगामी सुनवाई में अदालत द्वारा उठाए गए सवाल और दिए गए निर्देश इस मुद्दे के संवैधानिक पहलुओं पर प्रकाश डालेंगे।
0 Comments