• भारत ने ब्रिटेन के साथ 4,136 करोड़ रुपये का समझौता
 • सशस्त्र बलों के लिए लाइटवेट मल्टीरोल मिसाइल खरीदने का निर्णय
• रूसी अभियानों के खिलाफ यूक्रेन के लिए मिसाइलें उत्तरी आयरलैंड में बनाई जा रही है
• भारत को यूक्रेन को अत्याधुनिक एयर डिफेंस मिसाइलों की आपूर्ति करनी है
• यूक्रेन राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने ब्रिटेन से 5000 एयर डिफेंस मिसाइलों की मांग थी
• ब्रिटिश पीएम कीर स्टार्मर ने  समर्थन किया निर्माण क्षेत्र में रोजगार वृद्धि  में मदद करेगा।
• सौदा भारत की सुरक्षा और सामरिक हितों के लिए महत्वपूर्ण 
• दक्षिण एशिया में सुरक्षा स्थिति को मजबूत करने का प्रयास है।
• भारत की अंतरराष्ट्रीय रक्षा संबंधों में भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।कानपुर : 9 अक्टूबर 2025
 9 अक्टूबर 2025: नई दिल्ली: भारत ने अपने सशस्त्र बलों के लिए लाइटवेट मल्टीरोल मिसाइल (एलएलएम) खरीदने के लिए ब्रिटेन के साथ 4,136 करोड़ रुपये के समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं.  मिसाइलो  का निर्माण उत्तरी आयरलैंड के बेलफास्ट में रूसी अभियानों के खिलाफ यूक्रेन की हवाई रक्षा के लिए किया जा रहा है।
भारत ने यूक्रेन के लिए एक महत्वपूर्ण रक्षा सौदा किया है, जिसमें यूक्रेन को रूसी हमलों को रोकने की क्षमता बढ़ाने के लिए मिसाइलों की खरीदारी शामिल है। यह सौदा भारत और ब्रिटेन के बीच 4136 करोड़ रुपये में संपन्न हुआ है। इस सौदे के तहत भारत को यूक्रेन को अत्याधुनिक एयर डिफेंस मिसाइलों की आपूर्ति करनी है, जो युद्ध के क्षेत्र में उनकी क्षमता को बढ़ाने में सहायक होने की उम्मीद है। 
यूक्रेन संघर्ष की स्थिति में सामरिक जीत हासिल करने के लिए विभिन्न प्रकार की मिसाइलों का उपयोग कर रहा है। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने हाल ही में ब्रिटेन से सैन्य सहायता की अपील की थी, जिसमें उन्हें 5000 एयर डिफेंस मिसाइलों की आवश्यकता थी, जिससे वे रूस के बढ़ते हमलों का सामना कर सकें। 
ब्रिटिश पीएम कीर स्टार्मर ने भी इस कार्यक्रम को मजबूती से समर्थन दिया है और कहा है कि यह सौदा ब्रिटेन के पोत निर्माण क्षेत्र में रोजगार वृद्धि करने का भी एक उपाय है। यह सौदा भारत की सुरक्षा तथा सामरिक हितों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो कि दक्षिण एशिया में सुरक्षा स्थिति को मजबूत करने की दिशा में कार्य कर रहा है।भारत और ब्रिटेन के बीच यह सौदा न केवल यूक्रेन की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने का कार्य करेगा, बल्कि यह भारत की अंतरराष्ट्रीय रक्षा संबंधों में भी एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, जिसे भविष्य में सामरिक रूप से लाभकारी माना जाएगा।


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