- भारत ने युआन में रूसी तेल खरीदने की प्रक्रिया शुरू:
- युआन में भुगतान का महत्व
- अमेरिका ने भारतीय वस्तुओं पर भारी टैरिफ लगाने का दबाव
- चीन की भूमिका: भारत काकदम चीन के बढ़ते प्रभाव को दर्शाता
- युआन का उपयोग भारत-चीन व्यापारिक संबंधों में सुधार कर सकता है।
- रूसी तेल का आयात अक्टूबर में लगभग 1.7 मिलियन बैरल प्रतिदिन तक
- युआन में तेल खरीदना आर्थिक निर्णय और ऊर्जा सुरक्षा रणनीति
- वैश्विक ऊर्जा बाजार को चीन धीरे-धीरे "हाईजैक" करने की स्थिति में
भारत ने युआन में रूसी तेल खरीदने की प्रक्रिया शुरू की है, जो वैश्विक ऊर्जा बाजार में चीन की बढ़ती उपस्थिति की ओर इशारा करता है। इस परिवर्तन का मुख्य कारण यह है कि रूसी तेल व्यापारी अब भुगतान के लिए युआन की मांग कर रहे हैं, जबकि पूर्व में ये लेनदेन मुख्यतः अमेरिकी डॉलर या यूएई के दिरहम में होते थे。
2022 में यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद रूस भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बन गया। पहले इराक और सऊदी अरब जैसे देश भारत के मुख्य स्रोत थे। युद्ध के बाद पश्चिमी देशों ने रूसी तेल खरीदना कम कर दिया। रूस ने सस्ते दामों पर तेल बेचना शुरू किया। भारतीय रिफाइनरियों ने इसका फायदा उठाया और रूसी तेल का आयात बढ़ा दिया। युद्ध से पहले रूस का हिस्सा भारत के तेल आयात में 1 फीसदी से भी कम था, जो अब 40 फीसदी से ज्यादा हो गया।
युआन में भुगतान का महत्व: भारतीय रिफाइनरियां लंबे समय से बेहतर मूल्य पर रूसी तेल खरीदने का प्रयास कर रही थीं। अब, युआन में भुगतान करने का कदम राजनैतिक और आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। इससे भारत को उन व्यापारियों के साथ और अधिक सौदों को विकसित करने में मदद मिल सकती है जो केवल युआन में लेनदेन करते हैं।
अमेरिकी दबाव: अमेरिका ने भारतीय वस्तुओं पर भारी टैरिफ लगाने के उद्देश्य से दबाव डाला है, ताकि भारत अपनी रूसी तेल की मांग को कम करे। बावजूद इसके, भारत ने स्पष्ट किया है कि ये सौदे मूल्य-आधारित हैं और वे आगे भी जारी रहेंगे।
चीन की भूमिका: भारत का यह कदम दर्शाता है कि चीन का प्रभाव वैश्विक ऊर्जा बाजार पर बढ़ रहा है। युआन का इस्तेमाल करके, संभावित रूप से भारत और चीन के बीच व्यापारिक संबंधों में भी सुधार होगा, जो राजनीतिक और आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण है।
भविष्य की संभावनाएँ: भारतीय रिफाइनरियों का रूसी तेल का आयात, जो अक्टूबर में लगभग 1.7 मिलियन बैरल प्रतिदिन तक पहुंच सकता है, संकेत देता है कि भविष्य में ये मात्रा और बढ़ सकती है। भारत द्वारा युआन में तेल खरीदने का निष्कर्ष आर्थिक निर्णय और चीन के साथ व्यापारिक संबंधों में सुधार एवं लंबी अवधि के लिए ऊर्जा की सुरक्षा के लिए रणनीति भी हैं। स्पष्ट है कि चीन वैश्विक ऊर्जा बाजार में अपनी स्थिति को मजबूत करने में सफल हो रहा है।
विश्व के ऊर्जा बाजार को चीन धीरे-धीरे "हाईजैक" करने की स्थिति में आ रहा है, जो भारत सहित अन्य देशों के लिए चुनौतियां पेश करेगा।
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