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उस्ताद जाकिर हुसैन महान तबला वादक का 15 दिसंबर, 2024 को संयुक्त राज्य अमेरिका में हृदय गति रुकने के कारण निधन,सगीत जगत स्तब्ध

उस्ताद जाकिर हुसैन महान तबला वादक का 15 दिसंबर, 2024 को  में हृदय गति रुकने के कारण निधन,सगीत जगत स्तब्ध  परिवार और प्रशंसकों को संवेदनाएं  निरन्तर जारी 

नई दिल्ली:16 दिसंबर, 2024

कानपुर उस्ताद जाकिर हुसैन के निधन की सूचना से संगीत की दुनिया और उनके अनगिनत प्रशंसकों के लिए क्षति है। 73 वर्षीय महान तबला वादक का 15 दिसंबर, 2024 को संयुक्त राज्य अमेरिका में हृदय रोग के कारण निधन हो गया, विश्व केसाथी संगीतकारों और प्रशंसकों में शोक की लहर दौड़ गई। 9 मार्च, 1951 को मुंबई में जन्मे जाकिर हुसैन प्रतिभाशाली संगीतकार उस्ताद अल्लाह रक्खा के पुत्र थे उच्च श्रेणी के तबला वादक थे। जो विरासत छोड कर जा रहे है स्मरणीय है । तबले को वैश्विक मंचों पर विशेष वाद्य यंत्र की पहचान दिला भारतीय संगीत को सर्वोच्च स्थान पर पहुचा दिया । उनकी अभिनव शैली ने पारंपरिक भारतीय संगीत को विश्व संगीत सहित विभिन्न शैलियों के साथ जोड़ा, जिससे उन्हें जॉर्ज हैरिसन, रविशंकर और मिकी हार्ट आदी के साथ सहयोग कर के भारतीय संगीत को समृद्ध किया



जाकिर हुसैन कुशल संगीतकार, शिक्षक और यहां तक ​​कि एक अभिनेता भी थे। फिल्मों में उनके काम, उल्लेखनीय सहयोग और शक्ति और ग्लोबल ड्रम प्रोजेक्ट जैसे समूहों के गठन ने उनकी प्रतिभा को उजागर किया। उनकी प्रतिभा के लिए मान्यता में कई प्रतिष्ठित पुरस्कार शामिल थे; उन्हें पद्म श्री, पद्म भूषण और हाल ही में पद्म विभूषण के साथ-साथ उनकी असाधारण रिकॉर्डिंग के लिए कई अन्र्तर्राष्टीय पुरस्कार मिले[। सहकर्मियों और प्रशंसकों ने संवेदना व्यक्त की है, संगीत की दुनिया पर उनके द्वारा छोड़ी गई अमिट छाप पर चर्चा की। केंद्रीय मंत्रियों और उल्लेखनीय हस्तियों ने उनकी सार्वभौमिक पर प्रकाश डालते हुये बताया कि उनका तबला सीमाओं और संस्कृतियों को पार करते हुए भावनाओं को व्यक्त करता है[। उनकी विरासत उनके संगीत का अनुभव करने वाले लोगों के दिलों में जीवित रहेगी । उस्ताद जाकिर हुसैन के जीवन का संगीत में अपार योगदान पर चर्चा करके स्मृति का सम्मान करते हुए उन समृद्ध परंपराओं का जश्न और साझा करना जारी रखें । इस दुःख की घड़ी में संवेदनाएं तथा उनके परिवार साथ हैं ।
ज़ाकिर हुसैन का बचपन मुंबई में ही बीता। 12 साल की उम्र से ही ज़ाकिर हुसैन ने संगीत की दुनिया में अपने तबले की आवाज़ को बिखेरना शुरू कर दिया था। प्रारंभिक शिक्षा और कॉलेज के बाद ज़ाकिर हुसैन ने कला के क्षेत्र में अपने आप को स्थापित करना शुरू कर दिया। 1973 में उनका पहला एलबम लिविंग इन द मैटेरियल वर्ल्ड आया था। उसके बाद तो जैसे ज़ाकिर हुसैन ने ठान लिया कि अपने तबले की आवाज़ को दुनिया भर में बिखेरेंगे। 1979 से लेकर 2007 तक ज़ाकिर हुसैन विभिन्न अंतरराष्ट्रीय समारोहों और एलबमों में अपने तबले का दम दिखाते रहे। ज़ाकिर हुसैन भारत के साथ ही विश्व के विभिन्न हिस्सों में भी समान रूप से लोकप्रिय हैं।
उनके असामयिक निधन से सम्पूर्ण विश्व के संगीत प्रेमी स्तब्ध है । सभी समाज के नागरिक अपनी श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे है । वही संगीत जगत उनकी अनुपस्थिति से अनाक् हो गया है ।
नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने उनके निधन पर यह शोक संवेदना दी है ।महान तबला वादक उस्ताद ज़ाकिर हुसैन जी के निधन का समाचार बेहद दुखद है। उनका जाना संगीत जगत के लिए बड़ी क्षति है। इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं। उस्ताद ज़ाकिर हुसैन जी अपनी कला की ऐसी विरासत छोड़ गए हैं, जो हमेशा हमारी यादों में जीवित रहेगी।

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