कानपुर लेदर क्लस्टर (केएलसी) परिसर में डिज़ाइन स्टूडियो और लेदर फ़ैशन प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना के लिए वित्तीय स्वीकृति प्रदान

भारत सरकार द्वारा EXIM बैंक और वाणिज्य मंत्रालय के सहयोग से कानपुर लेदर क्लस्टर में डिज़ाइन स्टूडियो और लेदर फ़ैशन प्रशिक्षण केंद्र  की वित्तीय स्वीकृति

कानपुर:16 दिसंबर, 2024

कानपुरभारत सरकार ने EXIM बैंक और वाणिज्य मंत्रालय के सहयोग से कानपुर लेदर क्लस्टर (केएलसी) परिसर में डिज़ाइन स्टूडियो और लेदर फ़ैशन प्रशिक्षण केंद्र  की स्थापना के लिए वित्तीय स्वीकृति प्रदान की है।डिज़ाइन स्टूडियो और प्रशिक्षण केंद्र का उद्देश्य स्थानीय युवाओ में चमड़े के फैशन डिज़ाइन में व्यावसायिक प्रशिक्षण मे कौशल विकास करके कौशल अल्तराल को समाप्त करना है ।डिज़ाइन स्टूडियो चमड़े के उत्पादों में नवाचार के लिए केंद्र के रूप में कानपुर-लखनऊ राजमार्ग पर स्थित केएलसी कॉम्प्लेक्स में विकसित करेगा और पारंपरिक शिल्प कौशल को बनाए रखते हुए समकालीन फैशन को बढ़ावा देगा। क्षेत्र के विभिन्न स्टेक होलडर कारीगर, निर्माता और शैक्षणिक संस्थानो के मध्य परस्पर सहयोग प्रख्यापित कर सुसंगत विकास  सुनिश्चित करेगा । 
प्रशिक्षण केंद्र आधुनिक मशीनरी और प्रौद्योगिकी से सुसज्जित होगा, जो पारंपरिक चमड़े के उत्पादो पर   केंद्रित  व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रमों की सुविधा प्रदान करेगा .यह  कानपुर भारत के अग्रणी चमड़ा विनिर्माण केंद्रों में से है  को पुनर्जीवित करने का  महत्वपूर्ण प्रयास   है 
यह प्रयास चमड़ा क्षेत्र में काम करने वाले लोगों वचित वर्ग विशेष रुप से महिलाओ को क्षेत्र में रोजगार के अवसरों में वृद्धि और जीवन स्तर में सुधार और आय अर्जन मे वद्वि के अवसर उपलब्ध करायेगा ।  
डिज़ाइन स्टूडियो और प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना भारतीय चमड़ा उद्योग की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने के साथ-साथ स्थानीय आबादी के की परम्परागत कार्यशैली व कला को उच्चीकृत करके उद्यमशीलता को बढ़ावा देने की व्यापक प्रतिबद्धता और वैश्विक भगीदारी के उन्नयन का प्रयास है ।
उत्तर प्रदेश के कानपुर में चमड़ा उद्योग ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है और इसे " चमड़ा शहर" भी कहा जाता है। ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1778 में चमड़ा कारखानों की स्थापना की थी। आरम्भ मे स्थानीय संसाधनों, स्थानीय कारीगर और शिल्प कौशल से काठी और अन्य चमड़े के उत्पाद बनते थे। कानपुर चमड़े उत्पादों के निर्यात में महत्वपूर्ण योगदान रखता है । 2022 वित्तीय वर्ष मे चमड़ा और फुटवियर क्षेत्र ने 32.5% की वृद्धि  की है, निर्यात बढ़कर लगभग $4.90 बिलियन हो गया है। फुटवियर, सैडलरी, बैग और अन्य चमड़े के सामान सहित उत्पादों की विस्तृत श्रृंखला में लगभग 200,000 लोग कार्यरत हैं [
चमड़े की अधिकांश टेनरीयाँ जाजमऊ क्षेत्र में हैं, पूर्व मे लगभग 400 टैनरी थीं वर्तमाान मे लगभग 260 टेनरी हैं।
कानपुर  चमड़ा बाजार अपने गुणवत्ता वाले चमड़े के उत्पादों के लिए जाना जाता है। जाजमऊ बाज़ार प्रतिस्पर्धी कीमतों पर घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों खरीदारों की आवश्यकताओ को पूर्ण करते है ।
चमड़े के व्यापार में छोटे उद्यमों की बढचढ कर भागीदारी है । स्थानीय आर्थिक गतिविधि को बढ़ावा मिलता है। : कानपुर में चमड़ा उद्योग को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है । राष्ट्रीय हरित अधिकरण पर्यावरण नियमों के  सख्त अनुपालन उपायों के कारण कई चमड़ा कारखानों को बंद होना पड़ा।  जिससे काफी लगभग ₹3,000 करोड़ का  नुकसान हुआ है।
कानपुर में चमड़ा व्यापार राजनीतिक अतिरिक्त जटिलताओं का सामना कर रहा है। मुस्लिम समुदायों के व्यापारियों चमड़ा प्रसंस्करण में शामिल दलित श्रमिक स्थिर रोजगार की तलाश में स्थानांतरित हो रहे हैं ।
चमड़ा विनिर्माण केंद्र की प्रतिष्ठित स्थिति को पुनर्जीवित करने के लिए भारत सरकार द्वारा कानपुर लेदर क्लस्टर (केएलसी) परिसर में डिज़ाइन स्टूडियो और लेदर फ़ैशन प्रशिक्षण केंद्र की स्थपना चमडा व्यसाय को नया आयाम देगी। शिल्प कौशल और उत्पाद की गुणवत्ता की शानदार परंपरा को संतुलित कर वैश्विक पर्यावरणीय मानको और आर्थिक दबावों के साथ शहर वैश्विक चमड़ा बाजार में  पुन! स्थापित होगा ।

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