भारतीय स्टॉक मार्केट 6 दिसम्बर को आंबेडकर महापरिनिर्वाण दिवस पर अवकाश नहीं, प्रमुख सूचकांकों पर ट्रेडिंग गतिविधियाँ। अवकाश घोषित न होने से सम्पूर्ण आबादी सहित निवेशक प्रभावित होगे ।
कानपुर 6 दिसम्बर 2024
भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस पर श्रद्धांजलि |
6 दिसम्बर, 2024 को शुक्रवार को सुबह 9:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक MCX (मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज) और NCDEX (नेशनल कमोडिटी एक्सचेंज) पर सामान्य ट्रेडिंग होगी। और करेंसी डेरिवेटिव सेगमेंट में कमोडिटी डेरिवेटिव और इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड रिसिप्ट्स (EGR) सेगमेंट में भी ट्रेडिंग खुली रहेंगी।
डॉ. आम्बेडकर विदेश से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की डिग्री लेने वाले पहले भारतीय थे। उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था में वृद्धि औद्योगिकीकरण और कृषि विकास से वृद्धि में प्राथमिक क्षेत्र कृषि में निवेश पर बल दिया। आम्बेडकर दर्शन ने सरकार को खाद्य सुरक्षा लक्ष्य हासिल करने में मदद की। आम्बेडकर ने राष्ट्रीय आर्थिक और सामाजिक विकास, शिक्षा, सार्वजनिक स्वच्छता, समुदाय स्वास्थ्य, आवासीय सुविधाओं को बुनियादी सुविधाओं की वकालत की। उन्होंने ब्रिटिश शासन से हुए विकास के नुकसान की गणना भी की।
डॉ. आम्बेडकर 1921 तक एक प्रशिक्षित पेशेवर अर्थशास्त्री और राजनीतिक नेता बन गए थे। उन्होंने अर्थशास्त्र पर तीन विद्वत्वापूर्ण पुस्तकें लिखीं:
- अॅडमिनिस्ट्रेशन अँड फायनान्स ऑफ दी इस्ट इंडिया कंपनी
- द इव्हॅल्युएशन ऑफ प्रॉव्हिन्शियल फायनान्स इन् ब्रिटिश इंडिआ
- द प्रॉब्लम ऑफ द रूपी : इट्स ओरिजिन ॲन्ड इट्स सोल्युशन
भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) की स्थापना आम्बेडकर के विचारों जो उन्होंने हिल्टन यंग कमिशन को प्रस्तुत किये थे पर आधारित है । भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) भारत में वित्तीय प्रणाली का प्रबंधन करता है जिसमें शेयर बाजार, भारतीय सुरक्षा और विनिमय बोर्ड (सेबी) व केंद्रीय बैंक भी शामिल हैं।
डॉ. अंबेडकर की स्मृति मे सम्पूर्ण विश्व मे स्मरणीय कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। विशेष कार्यक्रम उनके अंतिम संस्कार स्थल चैत्य भूमि मुंबई, महाराष्ट्र में किए जाते हैं।
सम्पूर्ण विश्व व देश के नामचीन शहरो मे श्रद्धांजलि सभा आयोजित की जाती है जिसमे वरिष्ठ राजनीतिक नेता, नौकरशाह और अन्य लोग शामिल होते हैं।
महापरिनिर्वाण दिवस बाबासाहेब के कार्यों, न्यायपूर्ण समाज के लिए प्रयास, तथा सांप्रदायिक सौहार्द के योगदान से भावी पीढी को अवगत कराता है । तथा उनके विचारों को अनुकरण और उसे स्वीकार करने की शपथ दिलाता है । यह भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाना सिखाता है और साथ ही भारत को एक समता मूलक और एकीकृत समाज बनाने के लिए प्रेरित करता है।
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