कानपुर काकादेव निवासी पर-नाती के लिए ऑनलाइन पैन कार्ड आवेदन करते समय ₹7.7 लाख की साइबर धोखाधड़ी का शिकार
कानपुर 4 दिसंबर, 2024
कानपुर काकादेव थाना क्षेत्र सर्वोदय नगर के नवशील मोती विहार निवासी श्री सुरेश चंद्र शर्मा ने अपने पर-नाती के लिए ऑनलाइन पैन कार्ड के लिए आवेदन करते समय ₹7.7 लाख की साइबर धोखाधड़ी का शिकार हो गये ।
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श्री शर्मा 10 नवंबर को अपने अमेरिका निवासी पर-नाती, कन्निष्क पांडे के लिए पैन कार्ड बनवाने के लिये वेब साइट तलाश रहे थे । उन्होंने ऑनलाइन मदद के लिए खोज की और जो ग्राहक सेवा हेल्पलाइन का फर्जी नम्बर प्राप्त कर उससे सम्पर्क किया । प्राप्त नम्बरो से सम्पर्क करने पर दो व्यक्तियों, अविनाश अवस्थी और राजीव रंजन, ने प्रतिनिधियों के रूप बात की । श्री शर्मा से जमातनगीर के रुप मे अपनी आइडेन्टी देने का अनुरोध किया । श्री शर्मा ने के रुप मे आधार कार्ड , पैन कार्ड व बैंकिंग विवरण की प्रतियां की स्कैन प्रति उपल्ब्ध करा दी ।
साइबर क्राइम के धोखेबाजो ने उनके बैंक खातों तक पहुंच कर दो लेनदेन में ₹1.4 लाख और ₹6.3 लाख निकाल लिए। शर्मा निकासी देखकर धोखाधड़ी का एहसास हुआ।
धोखाधड़ी की जानकारी के तुरन्त बाद शर्मा ने अपने बैंकों में और लेनदेन को रोकने के लिए शिकायतें दर्ज कराई और घटना की रिपोर्ट काकादेव पुलिस को दी।
सामान्यता साइबर धोखेबाज एनी डेस्क या अल्टृ या वीवर जैसे साफटवेयर से बैक के सभी विवरण निकाल लेते है । और बैक खता खली कर देते है ।
भारत दुनिया का अग्रणी डिजिटल हब है। कनेक्टिविटी और डिजिटल अर्थव्यवस्था बड़े पैमाने पर प्रगति कर रही है हमारे डिजिटल लेनदेन मे कमजोरियों है । भारत दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इंटरनेट आबादी की सुरक्षा के लिए साइबर सुरक्षा ढांचा विकसित हो रहा है । साइबर अपराध उभरती प्रौद्योगिकियों से भी तेज गति से विकसित हो रहे है ।
जनवरी और अप्रैल 2024 के बीच, साइबर आपराधिक गतिविधियों के कारण भारतीय नागरिकों को 1,750 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान उठाना पड़ा। यह राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल पर दर्ज 740,000 से अधिक शिकायतों के माध्यम से रिपोर्ट किया गया था, जिसे गृह मंत्रालय द्वारा प्रबंधित किया जाता है।
इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) ने कहा कि मई 2024 में, प्रतिदिन औसतन 7,000 साइबर अपराध की शिकायतें दर्ज की गईं, जो 2021 और 2023 के बीच की अवधि की तुलना में 113.7 प्रतिशत और 2022 से 2023 तक 60.9 प्रतिशत की वृद्धि है।
इसके अतिरिक्त, इनमें से 85 प्रतिशत शिकायतें वित्तीय ऑनलाइन धोखाधड़ी से संबंधित थीं। गृह मंत्रालय द्वारा स्थापित I4C, साइबर अपराध से निपटने के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए एक ढांचे के रूप में कार्य करता है। रिपोर्ट किए गए मामलों में महत्वपूर्ण वृद्धि 2019 से 2024 तक स्पष्ट है, 2019 में 26,049 शिकायतें, 2020 में 257,777, 2021 में 452,414, 2022 में 966,790, 2023 में 1,556,218 और अकेले 2024 के पहले चार महीनों में 740,957 दर्ज की गई हैं।
अधिकांश पीड़ित ऑनलाइन निवेश धोखाधड़ी, गेमिंग ऐप, एल्गोरिथम जोड़तोड़, अवैध उधार देने वाले ऐप, सेक्सटॉर्शन और ओटीपी घोटाले के शिकार हुए। 2023 में, I4C ने 100,000 से अधिक निवेश धोखाधड़ी की घटनाओं की सूचना दी। डिजिटल गिरफ्तारियों के परिणामस्वरूप 2024 के शुरुआती चार महीनों में 4,599 मामलों में 120 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। ट्रेडिंग स्कैम के 20,043 मामले सामने आए, जिससे इसी अवधि के दौरान साइबर अपराधियों को 1,420 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
आई4सी के आंकड़ों के अनुसार, निवेश घोटाले के परिणामस्वरूप 62,687 शिकायतों में 222 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, जबकि डेटिंग ऐप के कारण 1,725 शिकायतों में 13.23 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। जनवरी से अप्रैल 2024 तक भारतीयों पर साइबर अपराधियों द्वारा लगाया गया कुल वित्तीय धोखाधड़ी 176 करोड़ रुपये तक पहुंच गया।
विशेषज्ञो के अनुसार सभी लेनदेन से पूर्व सावधानी बरते तथा संवेदनशील जानकारी जैसे आधार, पैन कार्ड या बैंकिंग विवरण को अज्ञात स्रोतों के साथ साझा नहीं करना चाहिए। किसी भी शक की दशा मे https://cybercrime.gov.in/ पार्टल मे शिकायत अवश्य पंजीक्रत करवाये ।
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