छह महीने पहले जुलाई-2024 में ही अंकित ने पीएचडी में दाखिला लिया था।
आत्महत्या नोट में "मैं क्विट कर रहा हूं, इसमें कोई इनवाल्व नहीं है, यह मेरा अपना निर्णय है।
पीएचडी में पांच साल की फेलोशिप, शुरुआती दो साल 37 हजार, शेष तीन साल 41 हजार रुपये ।
छात्रों को डबल रूम देने का प्रयास छात्र सामान्यता छात्र निजता की बात कहकर डबल रूम मना
आत्महत्या करने वाले हितधरको मे प्रथमवर्ष के छात्र से प्राफेसर तक
"मुझे अभी भी विश्वास नहीं हो रहा है कि बेटा आत्महत्या करेगा। सब कुछ ठीक था"– राममूरत यादव
कानपुर 14 फरवरी, 2025
कानपुर 11 फरवरी, 2025 दिल्ली विश्वविद्यालय से बीएससी, आईआईटी दिल्ली एमएससी से करने के बाद आईआईटी कानपुर में केमिस्ट्री छह महीने पहले जुलाई-2024 में ही उत्तर प्रदेश नोएडा सेक्टर-71 अंकित ने पीएचडी में प्रवेश लिया था। पीएचडी में यूजीसी की पांच साल की फेलोशिप मिली थी। शुरुआती दो साल के लिए 37 हजार रुपये मासिक और शेष तीन सालों के लिए 41 हजार रुपये मिलते हैं।
तीन लाइन का सुसाइड नोट लिखकर आईआईटी के पीएचडी छात्र ने सोमवार को हॉस्टल के कमरे में फंदे से लटककर आत्महत्या कर ली। मौके से मिले आत्महत्या नोट में, "मैं क्विट कर रहा हूं, इसमें कोई इनवाल्व नहीं है, यह मेरा अपना निर्णय है। ये शब्द शिक्षा और जीवन के दबाव से जूझ रहा एक युवा छात्र की मानसिक स्थिति प्रर्दर्शित करता हैं ।
प्रशासन की सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया। साथ ही छात्र के परिजनों को जानकारी दे दी है। छात्र के खुदकुशी करने की वजह स्पष्ट नहीं हो सकी है। अंकित यादव मेधावी छात्र था।कौन सी मजबूरी के चलते घुटने टेक दिए। सभी स्तब्ध हैं।
नोएडा के सेक्टर 71 स्थित जागृति अपार्टमेंट के फ्लैट नंबर 399 डी निवासी रामसूरत यादव का बेटा अंकित यादव (24) आईआईटी में केमिस्ट्री विषय से पीएचडी प्रथम सेमस्टर का छात्र था। उसने वर्ष 2024 में दाखिला लिया था। वह कैंपस में ही हॉस्टल के रूम नंबर एच-103 में अकेले रहता था। सोमवार को हॉस्टल में रहने वाले साथी छात्रों को अंकित दिखाई नहीं दिया।शाम को छात्रों ने उसके कमरे का दरवाजा खटखटाया और आवाज दी। जब कोई आवाज नहीं आई और दरवाजा भी नहीं खुला, तो छात्रों ने खिड़की से झांका। कमरे में अंकित का शव रस्सी के सहारे पंखे से लटकता देख छात्र घबरा गए। आनन-फानन दरवाजा तोड़कर अंकित को फंदे से उतारा। इसके बाद उसे कैंपस स्थित हेल्थ सेंटर ले गए। वहां डॉक्टर ने अंकित को मृत घोषित कर दिया।
"मुझे अभी भी विश्वास नहीं हो रहा है कि मेरा बेटा कभी आत्महत्या करेगा। घर में सब कुछ ठीक था, मुझे नहीं पता कि उसने ऐसा क्यों किया। वह मेरी सबसे बड़ी ताकत थे। वह चला गया है, और वह कभी वापस नहीं आएगा, "– राममूरत यादव का अपने बेटे को खोने का दर्द, जिसे उन्होंने अपने भविष्य से जुड़ी कई आशाओं के साथ पाला था, इन दिल दहला देने वाले शब्दों के माध्यम से गूंजता है।
डीन स्टूडेंट अफेयर के अनुसार अंकित को आखिरी बार रविवार रात करीब 10:30 बजे टहलते हुए देखा गया था। उसने काउंसिलिंग सेशन में कभी भाग नही लिया और डिप्रेशन में होने की बात भी सामने नही आई।
सामान्यता पीएचडी का तनाव तीन साल के बाद शुरु होता है। आरम्भ में तो पीएचडी कोर्स वर्क किया जाता है, नवंबर में कोर्स वर्क खत्म हो गया। एक महीने करीब लैब में रिसर्च किया। जनवरी में पीएचडी का पहला सेमेस्टर शुरू हुआ था। उन्होंने कहा कि अभी तो पढ़ाई शुरू नहीं हुई थी, तो पढ़ाई से तनाव का कोई सवाल नहीं है।
राजेश कुमार सिंह, डीसीपी पश्चिम के अनुसार कमरे से सुसाइड नोट मिला है लेकिन उसमें कारण स्पष्ट नहीं है। उसका मोबाइल और लैपटॉप कब्जे में लेकर जांच की जा रही है। परिजनों से भी बातचीत की जाएगी, ताकि छात्र के खुदकुशी करने की वजह साफ हो सके।
छात्रों को डबल रूम देने का प्रयास छात्र किया जाता है ताकि अकेलापन न महसूस करें । परन्तु सामान्यता छात्र निजता की बात कहकर डबल रूम के लिए मना कर देते हैं।
आईआईटी कानपुर के इन हितधारको ने भी आत्महत्या की।
10 अक्तूबर 2024: पीएचडी छात्रा प्रगति ने फंदा लगाकर की आत्महत्या।
11 जनवरी 2024: एमटेक द्वितीय वर्ष के छात्र विकास कुमार मीणा ने फंदा लगाकर आत्महत्या की।
18 जनवरी 2024: केमिकल इंजीनियरिंग की पीएचडी छात्रा प्रियंका जायसवाल ने आत्महत्या की।
19 दिसंबर 2023 - शोध सहायक स्टाफ डॉ पल्लवी चिल्का ने फंदा लगाकर ने आत्महत्या की।
07 सितंबर 2022 – वाराणसी निवासी पीएचडी छात्र प्रशांत सिंह ने फंदा लगाकर आत्महत्या की।
12 मई 2021 – संस्थान में असिस्टेंट रजिस्ट्रार सुरजीत दास ने फंदा लगाकर आत्महत्या की।
09 जुलाई 2020 – आईआईटी के कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर प्रमोद सुब्रमण्यन ने फंदा लगाकर आत्महत्या की।
30 दिसंबर 2019 – संस्थान में सिक्योरिटी गार्ड आलोक श्रीवास्तव ने फंदा लगाकर आत्महत्या की।
19 अप्रैल 2018 – फिरोजाबाद निवासी पीएचडी छात्र भीम सिंह ने फंदा लगाकर आत्महत्या की।
03 जनवरी 2009 – एमटेक छात्र जी सुमन ने आत्महत्या की।
30 मई 2008 – छात्र टोया चटर्जी ने फांसी लगाकर ने आत्महत्या की।
12 अप्रैल 2008 – छात्र प्रशांत कुमार कुरील ने फांसी लगाकर आत्महत्या की।
25 अप्रैल 2007 – जे भारद्वाज ने ट्रेन से कटकर ने आत्महत्या की।
03 मई 2006 – शैलेश कुमार शर्मा ने फांसी लगाकर ने आत्महत्या की।
वर्तमान समय मे ऊंची शिक्षा और प्रतिस्पर्धी माहौल में छात्रों पर दबाव व बढ़ता पढ़ाई का स्तर और ऊंची अपेक्षाएं कई छात्र इस बोझ सहन नहीं कर पाते। आत्महत्या प्रदर्शित करती है कि शिक्षा प्रणाली छात्रों के व्यक्तिगत संघर्षों, समाज और प्रणाली की कमियों को मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रख कर नही है । शिक्षा के मंदिरों में छात्रों को ज्ञान व मानसिक समर्थन भी मिलना चाहिए।
वर्तमान समय मे छात्रों को प्रतिस्पर्धी माहौल में संभाल कर मानसिक स्वास्थ्य के संदर्भ मे समाज में जागरूकता और सही मार्गदर्शन शिक्षा प्रणाली और छात्रों के प्रति दृष्टिकोण को बदलना करना आवश्यक है।जीवन और शिक्षा के बीच संतुलन स्थापित करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। हर छात्र सिर्फ पुस्तकों और प्राथमिकता के अलावा जीवन के मूल्यों और मानसिक शांति का भी ध्यान रखने की आवश्यकता है।
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