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"एक राष्ट्र, एक चुनाव" विधेयक के लिए जे पी सी प्रस्तावित संविधान के मूल ढांचे पर हमला मनीष तिवारी कांग्रेस

एक राष्ट्र, एक चुनाव के लिए जे पी सी प्रस्तावित
विपक्षी दलों ने संविधान के विरुद्ध बताया है
संविधान के मूल ढांचे पर हमला मनीष तिवारी कांग्रेस
मत विभाजन मे 269 पक्ष और 198 विपक्ष में वोट
कांग्रेस से प्रस्तावित नाम प्रियंका गांधी
21 लोकसभा 10 राज्यसभा व कुल 31 सदस्य

नई दिल्ली:18 दिसंबर, 2024


नई दिल्ली: संविधान 129वां संविधान संशोधन विधेयक, 2024 लोकसभा में पेश किया गया इसका भारी विरोध हुआ  विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच अभिमत विभाजित थे।मत विभाजन मे 269 पक्ष और 198 विपक्ष में वोट पड़े।



कानून मंत्री ने अभिमत दिया है कि विधेयक को जे पी सी को भेजा जाएगा जिसमे  21 सदस्य लोकसभा और 10 सदस्य राज्यसभा से व कुल 31 सदस्यों होंगे
कांग्रेस से जे पी सी के लिए प्रस्तावित नाम प्रियंका गांधी, मनीष तिवारी, सुखदेव भगत और रणदीप सुरजेवाला हैं। मनीष तिवारी और रणदीप सुरजेवाला कानून के विशेषज्ञ हैं, जबकि सुखदेव भगत एक प्रमुख आदिवासी नेता,  प्रियंका गांधी महिलाओं का नेतृत्व करती हैं  संभावित संविधान  उल्लंघन पर चर्चा करेंगे 
समिति को  90 दिनों के अन्दर रिपोर्ट प्रस्तुत करनी है  समयसीमा का विस्तार भी किया जा सकता है[
सामान्यता जे पी सी के गठन के लिए  प्रस्ताव एक सदन द्वारा पारित किया जाता है और दूसरे सदन से अनुमोदन लिया जाता है । पार्टीयां सदस्यों का नाम जे पी सी को प्रस्तावित करती है । सदस्यों की संख्या निश्चित नहीं होती है, परन्तु सभी दलो की भगीदारी सुनिचित की जाती है ।सामान्यता बड़े दल के सदस्य सर्वाधिक होते हैं। लोकसभा स्पीकर समिति का अध्यक्ष चुनते हैं।
जे पी सी संसद द्वारा किसी विधेयक या प्रकरण पर गहन जांच के लिए गठित एक विशेष समिति है, जिसमें लोकसभा और राज्यसभा दोनों के सदस्य होते हैं।जे पी सी का प्राथमिक कार्य  देश में होने वाले प्रमुख घटनाओ और विशिष्ट मुद्दों,  विधेयकों की जांच या विवेचना  करना है । जे पी सी  संबंधित साक्ष्य और तथ्य जुटाने किसी व्यक्ति, संस्था या पक्ष को बुलाने और पूछताछ के लिए अधिकृत होती है है।जनहित के मामलों को छोड़कर समिति की कार्यवाही और निष्कर्ष को गोपनीय रखा जाता है। सरकार राज्य या देश की सुरक्षा से जुड़े दस्तावेजों को वापस ले सकती है।
जे पी सी का प्रथम कार्य प्रकरण की समीक्षा, शोध और तदोपरान्त चर्चा करती है  विशेषज्ञों, हितधारकों व संबंधित पक्षों से विचार और सिफारिशें आमंत्रित करती है। निष्कर्षों और सिफारिशों को संसद के दोनों सदनों को प्रस्तुत करती है ।
समिति की अधिकतम 3 महीने की समय सीमा होती है। जांच रिपोर्ट पेश करने के बाद समिति का अस्तित्व स्वत:  समाप्त हो जाता है।
देश में अब तक कई प्रकरणो  के लिए जे पी सी का गठन किया जा चुका है। बोफोर्स तोप घोटाला, हर्षद मेहता स्टॉक मार्केट घोटाला, केतन पारेख शेयर बाजार घोटाला, राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर, व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयकऔर वक्फ बोर्ड संशोधन आदी प्रमुख है ।
एक राष्ट्र, एक चुनाव  के  लिए जे पी सी का गठन संसद के मौजूदा सत्र मे ही किया जायेगा और सभी दलों के सांसदों को  राय प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान किया जायेगा ।

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