•उद्देश्य न्यायालयों में लंबित मामलों का बोझ कम करना और नागरिकों को सुलभ न्याय प्रदान करना है।
• उच्च न्यायालयों, जिला अदालतों, ट्रिब्यूनल्स, उपभोक्ता फोरम और स्थायी लोक अदालतों में सुनवाई ।
• लोक अदालत में आपराधिक, चेक बाउंस, बैंक रिकवरी, मोटर दुर्घटना दावा, आदि पर केंद्रित
• लंबी कानूनी प्रक्रियाओं से बचने, कोर्ट फीस में छूट और एक ही दिन में विवाद समाधान का लाभ
• न्याय प्रणाली में विश्वास बढ़ेगा।
भारत में 13 दिसंबर 2025 को चौथी राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जाएगा। यह एक महत्वपूर्ण कानूनी सेवा कार्यक्रम है जिसका मुख्य उद्देश्य नागरिकों के समझौता-योग्य (compoundable) मामलों और कई अन्य विवादों को सौहार्दपूर्ण ढंग से निपटाना और न्यायालयों में लंबित मामलों का बोझ कम करना है।राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) के तहत आयोजित होने वाली इस लोक अदालत का लक्ष्य न्यायालयों में लंबित मामलों के बोझ को कम करना तथा नागरिकों के लिए न्याय को सुलभ और प्रभावशाली बनाना है।
📌 क्या है राष्ट्रीय लोक अदालत?
नेशनल लीगल सर्विसेज अथॉरिटी (NALSA) के तहत यह एक वैकल्पिक विवाद समाधान मंच है जिसमें आम लोगों को बिना लंबी सुनवाई के अपने मामले सुलह-समझौते के ज़रिए निपटाने का अवसर मिलता है।
यह हर साल कई बार (quarterly) आयोजित होती है; 2025 में चौथी लोक अदालत 13 दिसंबर, 2025 को रखी गई है।
आयोजन की विशेषताएँ
विस्तृत आयोजन: यह राष्ट्रीय लोक अदालत पूरे देश में उच्च न्यायालयों, जिला अदालतों, ट्रिब्यूनल्स, उपभोक्ता फोरम और स्थायी लोक अदालतों में आयोजित की जाएगी।
सहयोगात्मक विवाद समाधान: लोक अदालत का मुख्य उद्देश्य सहमति आधारित विवाद समाधान को सशक्त करना है। यह एक ऐसा मंच प्रदान करता है जहां नागरिक न्याय प्रणाली के साथ जुड़कर विवादों का निपटारा कर सकते हैं。
📊 चौथी राष्ट्रीय लोक अदालत (13 दिसंबर 2025)
🎯 उद्देश्य
- न्यायालयों में लंबित मामलों का बोझ कम करना
- नागरिकों को तेज़, सस्ती और सुलभ न्याय उपलब्ध कराना
- पक्षकारों के बीच मित्रतापूर्ण समझौते को बढ़ावा देना
🏛️ आयोजन की विशेषताएँ
- पूरे देश में: उच्च न्यायालय, जिला अदालतें, ट्रिब्यूनल्स, उपभोक्ता फोरम, स्थायी लोक अदालतें
- सहयोगात्मक विवाद समाधान का मंच
- कोर्ट फीस में छूट और कुछ मामलों में जुर्माने पर रियायत
⚖️ किन मामलों की सुनवाई होगी?
- आपराधिक संज्ञेय अपराध (compoundable)
- चेक बाउंस (धारा 138 NI अधिनियम)
- बैंक रिकवरी और ऋण विवाद
- मोटर दुर्घटना दावा
- यातायात चालान
- श्रम विवाद
- उपभोक्ता मामले
- वैवाहिक विवाद (तलाक को छोड़कर)
- भूमि अधिग्रहण विवाद
- अन्य सिविल विवाद
📅 राज्यवार कार्यक्रम
- राजस्थान:
- 19 दिसंबर 2025 (हाई कोर्ट)
- 21 दिसंबर 2025 (जिला अदालतें)
- तेलंगाना: 21 दिसंबर 2025
- दिल्ली: 10 जनवरी 2026
📌 नागरिकों के लिए लाभ
लंबी कानूनी प्रक्रिया से बचावकोर्ट फीस में छूट
एक ही दिन में विवाद का समाधान
न्याय प्रणाली में विश्वास और सामाजिक जुड़ाव को मज़बूती
न्यायालयों के लंबित मामलों का बोझ कम करना
तेज़, सस्ती और सुलभ न्याय सुनिश्चित करना
पक्षकारों के बीच मित्रतापूर्ण समझौता को प्रोत्साहित करना
कुछ मामलों में अदालत फ़ीस में छूट और कभी-कभी जुर्मानों पर रियायत उपलब्ध कराना
✨ 2024 की उपलब्धि
- 10.45 करोड़ मामलों का निपटारा
- 2025 में और अधिक मामलों के समाधान की उम्मीद
आम नागरिकों के लिए लाभ
पेंडेंसी कम करने का उद्देश्य: इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य न्यायालयों में लंबित मामलों की संख्या को कम करना और न्याय प्रक्रिया को तेज बनाना है। 2024 में, राष्ट्रीय लोक अदालतों के माध्यम से 10.45 करोड़ मामलों का निपटारा किया गया था, और 2025 में यह संख्या बढ़ने की उम्मीद है।
- सन् 2025 की चौथी राष्ट्रीय लोक अदालत उन सभी नागरिकों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है, जो अपने लंबित मामलों को सुलझाने का प्रयास कर रहे हैं। यह कोर्ट फीस और लंबी कानूनी प्रक्रियाओं से बचने का एक शानदार तरीका है। यदि आप इस अदालती प्रक्रिया में भाग लेते हैं, तो आपको तेजी से न्याय प्राप्त होगा और आपके कानूनी मामलों का समाधान होगा।
- इस प्रकार, 13 दिसंबर 2025 को होने वाली राष्ट्रीय लोक अदालत न केवल विवादों के समाधान का एक किफायती और प्रभावी तरीका देती है, बल्कि यह सामाजिक जुड़ाव और न्याय प्रणाली में विश्वास को भी मजबूत करती है।


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