भारत की सरकार ने "शांति विधेयक, 2025" संसद में पेश : विपक्ष का हंगामा

 उद्देश्य परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव लाना

पुराने परमाणु कानूनों को संशोधित करना
इसके तहत 49% तक विदेशी निवेश की अनुमति देने का प्रावधान
दायित्व नियमों में सुधार का प्रावधान
स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टरों (SMR) को बढ़ावा देना
विधेयक के पेश होने पर संसद में विपक्ष ने इस पर हंगामा किया
कानपुर 16 दिसम्बर 2025
नई दिल्ली: 15 दिसम्बर 2025: भारत की सरकार ने "शांति विधेयक, 2025" (Sustainable Harnessing and Advancement of Nuclear Energy for Transforming India Bill, 2025) को पेश किया है, जिसका उद्देश्य परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव लाना है। यह विधेयक लोकसभा में पेश किया गया और इसमें पुराने परमाणु कानूनों को संशोधित करने, निजी (भारतीय और विदेशी) भागीदारी को प्रोत्साहित करने और दायित्व नियमों में सुधार का प्रावधान है.
प्रमुख बिंदु
पुराने कानूनों का संशोधन:
विधेयक परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 और परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम, 2010 को रद्द करेगा. इसके लागू होने पर, भारतीय परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में सरकारी नियंत्रण को कम करने की कोशिश की जाएगी.
निजी और विदेशी निवेश:
विधेयक के तहत, निजी कंपनियों को परमाणु ऊर्जा उत्पादन में भागीदारी की अनुमति दी जाएगी। इसके तहत 49% तक विदेशी निवेश की अनुमति देने का प्रावधान है.
सुरक्षा और नियामक ढांचा:
विधेयक में एक प्रभावी नागरिक दायित्व व्यवस्था के साथ-साथ, सुरक्षा उपायों को मजबूत करने का प्रावधान है। यह नीति उन चिंताओं को दूर करने का प्रयास करेगी, जिनके कारण पहले निजी और विदेशी निवेशक परमाणु क्षेत्र से हिचकिचाते थे.
आर्थिक और पर्यावरणीय लक्ष्य:
भारत ने 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा क्षमता हासिल करने का लक्ष्य रखा है. यह विधेयक जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने और देश की ऊर्जा सुरक्षा को प्रोत्साहित करने में मदद करेगा.
स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR):
विधेयक का एक महत्वपूर्ण पहलू स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टरों (SMR) को बढ़ावा देना है, जो कि लागत प्रभावी और तेजी से स्थापित होने वाले विकल्प प्रदान करते हैं.
राजनीतिक विवाद:
विधेयक के पेश होने पर संसद में विपक्ष ने इस पर हंगामा किया, जिसमें कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस ने इसकी आलोचना की है.
इस विधेयक के माध्यम से भारत का लक्ष्य न केवल अपने परमाणु ऊर्जा क्षेत्र की दक्षता को बढ़ाना है, बल्कि इसे एक नया दिशा देने और वैश्विक ऊर्जा पारिस्थितिकी में अपनी भूमिका को मजबूत करने का भी है। यह कानून भारत के ऊर्जा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक है जो न केवल निजी निवेश को आकर्षित करेगा, बल्कि स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में तेजी लाने में भी मदद करेगा.

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