- अनुच्छेद 300(1) पर आधारित
- अपकृत्य अपराध जिसमें लापरवाही या जानबूझकर किए गए कार्य से दूसरे को नुकसान होता है।
- राज्य की देयता संप्रभु और गैर-संप्रभु कार्यों में विभाजित है
- संप्रभु कार्यों में राज्य प्रतिरक्षा का दावा कर सकता
- गैर-संप्रभु कार्यों में वह उत्तरदायी होता है।
- न्यायपालिका ने संप्रभु प्रतिरक्षा की सीमाओं को संकीर्ण किया संकीर्ण
- मौलिक अधिकारों के उल्लंघन पर राज्य को उत्तरदायी ठहराया है।
- वर्तमान में राज्य नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उत्तरदायी
- पीड़ित मुआवजे के लिए सिविल सूट या रिट याचिका कर सकते हैं।कानपुर 23 दिसम्बर 2025
राज्य का अपकृत्य दायित्व भारत में एक महत्वपूर्ण कानूनी अवधारणा है जो नागरिकों को राज्य या उसके अधिकारियों के गलत कार्यों से होने वाले नुकसान के लिए मुआवजा प्राप्त करने का अधिकार देती है। यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 300(1) पर आधारित है, जो संघ और राज्य सरकारों को मुकदमा करने की क्षमता प्रदान करता है। अपकृत्य एक नागरिक अपराध है, जिसमें किसी की लापरवाही या गलत कार्य से दूसरे व्यक्ति को नुकसान होता है। राज्य का अपकृत्य दायित्व प्रतिनिधिक दायित्व पर आधारित है, जहां राज्य अपने कर्मचारियों के कार्यों के लिए उत्तरदायी होता है। राज्य संप्रभु प्रतिरक्षा का दावा कर सकता है, लेकिन यह केवल संप्रभु कार्यों में मान्य है। न्यायालयों ने संप्रभु और गैर-संप्रभु कार्यों के बीच अंतर को सीमित किया है और मौलिक अधिकारों के उल्लंघन में राज्य को उत्तरदायी ठहराया है। वर्तमान में, संप्रभु प्रतिरक्षा केवल न्यूनतम आवश्यक कार्यों तक सीमित है और राज्य अधिकतर मामलों में उत्तरदायी है। यह अवधारणा कल्याणकारी राज्य की भावना के अनुरूप है, जिससे नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
राज्य का अपकृत्य दायित्व (Tortious Liability of State) का मतलब है कि जब सरकार या राज्य के किसी अधिकारी के गलत काम से किसी नागरिक (व्यक्ति या उसकी संपत्ति) को नुकसान पहुँचता है, तो उसके लिए राज्य कानूनी रूप से ज़िम्मेदार होता है और पीड़ित मुआवज़ा मांग सकता है, खासकर गैर-संप्रभु (Non-Sovereign) कार्यों के लिए, क्योंकि भारत में 'राजा कभी गलती नहीं करता' (Sovereign Immunity) का सिद्धांत अब पूरी तरह लागू नहीं होता और संविधान के अनुच्छेद 300(1) के तहत सरकार पर मुकदमा चलाया जा सकता है।
मुख्य बिंदु (Key Points)
अपकृत्य (Tort): यह एक नागरिक अपराध (Civil Wrong) है, जिसमें किसी व्यक्ति के लापरवाही भरे या गलत काम से दूसरे को नुकसान होता है, जिसके लिए क्षतिपूर्ति (Compensation) मिल सकती है।
संवैधानिक आधार (Constitutional Basis): भारतीय संविधान का अनुच्छेद 300(1) कहता है कि भारत सरकार और राज्य सरकारें अपने नाम पर मुकदमा कर सकती हैं और उन पर मुकदमा चलाया जा सकता है, जैसे पहले भारत डोमिनियन और प्रांतों पर चलाया जा सकता था।
संप्रभु और गैर-संप्रभु कार्य (Sovereign vs. Non-Sovereign Functions):संप्रभु कार्य (Sovereign Functions): ये राज्य के वो कार्य होते हैं जो उसकी संप्रभु शक्ति से जुड़े होते हैं (जैसे युद्ध करना, कानून बनाना)। इन कार्यों में राज्य को पहले प्रतिरक्षा (Immunity) मिलती थी।
गैर-संप्रभु कार्य (Non-Sovereign Functions): ये वो कार्य हैं जो कोई निजी व्यक्ति भी कर सकता है (जैसे सड़क बनाना, स्कूल चलाना)। इन कार्यों में राज्य उत्तरदायी होता है।
बदलती अवधारणा (Changing Concept): आजकल अदालतें संप्रभु और गैर-संप्रभु कार्यों के बीच अंतर करना मुश्किल मानती हैं और ज़्यादातर सरकारी कार्यों को गैर-संप्रभु मानकर राज्य पर दायित्व बढ़ा रही हैं, जिससे नागरिकों को राहत मिल सके।
उदाहरण (Example): यदि सरकारी वाहन की लापरवाही से दुर्घटना हो जाए या सरकारी कर्मचारी की गलती से संपत्ति का नुकसान हो, तो राज्य पर मुकदमा हो सकता है।
राज्य के गलत कार्यों (अपकृत्यों) के लिए भी अब कानूनी ज़िम्मेदारी तय होती है, विशेषकर जब कार्य संप्रभु प्रकृति के न हों और इनसे नागरिकों को नुकसान हो।
- पीड़ित मुआवजे के लिए सिविल सूट या रिट याचिका कर सकते हैं।कानपुर 23 दिसम्बर 2025
राज्य का अपकृत्य दायित्व भारत में एक महत्वपूर्ण कानूनी अवधारणा है जो नागरिकों को राज्य या उसके अधिकारियों के गलत कार्यों से होने वाले नुकसान के लिए मुआवजा प्राप्त करने का अधिकार देती है। यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 300(1) पर आधारित है, जो संघ और राज्य सरकारों को मुकदमा करने की क्षमता प्रदान करता है। अपकृत्य एक नागरिक अपराध है, जिसमें किसी की लापरवाही या गलत कार्य से दूसरे व्यक्ति को नुकसान होता है। राज्य का अपकृत्य दायित्व प्रतिनिधिक दायित्व पर आधारित है, जहां राज्य अपने कर्मचारियों के कार्यों के लिए उत्तरदायी होता है। राज्य संप्रभु प्रतिरक्षा का दावा कर सकता है, लेकिन यह केवल संप्रभु कार्यों में मान्य है। न्यायालयों ने संप्रभु और गैर-संप्रभु कार्यों के बीच अंतर को सीमित किया है और मौलिक अधिकारों के उल्लंघन में राज्य को उत्तरदायी ठहराया है। वर्तमान में, संप्रभु प्रतिरक्षा केवल न्यूनतम आवश्यक कार्यों तक सीमित है और राज्य अधिकतर मामलों में उत्तरदायी है। यह अवधारणा कल्याणकारी राज्य की भावना के अनुरूप है, जिससे नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
राज्य का अपकृत्य दायित्व (Tortious Liability of State) का मतलब है कि जब सरकार या राज्य के किसी अधिकारी के गलत काम से किसी नागरिक (व्यक्ति या उसकी संपत्ति) को नुकसान पहुँचता है, तो उसके लिए राज्य कानूनी रूप से ज़िम्मेदार होता है और पीड़ित मुआवज़ा मांग सकता है, खासकर गैर-संप्रभु (Non-Sovereign) कार्यों के लिए, क्योंकि भारत में 'राजा कभी गलती नहीं करता' (Sovereign Immunity) का सिद्धांत अब पूरी तरह लागू नहीं होता और संविधान के अनुच्छेद 300(1) के तहत सरकार पर मुकदमा चलाया जा सकता है।
मुख्य बिंदु (Key Points)
अपकृत्य (Tort): यह एक नागरिक अपराध (Civil Wrong) है, जिसमें किसी व्यक्ति के लापरवाही भरे या गलत काम से दूसरे को नुकसान होता है, जिसके लिए क्षतिपूर्ति (Compensation) मिल सकती है।
संवैधानिक आधार (Constitutional Basis): भारतीय संविधान का अनुच्छेद 300(1) कहता है कि भारत सरकार और राज्य सरकारें अपने नाम पर मुकदमा कर सकती हैं और उन पर मुकदमा चलाया जा सकता है, जैसे पहले भारत डोमिनियन और प्रांतों पर चलाया जा सकता था।
संप्रभु और गैर-संप्रभु कार्य (Sovereign vs. Non-Sovereign Functions):संप्रभु कार्य (Sovereign Functions): ये राज्य के वो कार्य होते हैं जो उसकी संप्रभु शक्ति से जुड़े होते हैं (जैसे युद्ध करना, कानून बनाना)। इन कार्यों में राज्य को पहले प्रतिरक्षा (Immunity) मिलती थी।
गैर-संप्रभु कार्य (Non-Sovereign Functions): ये वो कार्य हैं जो कोई निजी व्यक्ति भी कर सकता है (जैसे सड़क बनाना, स्कूल चलाना)। इन कार्यों में राज्य उत्तरदायी होता है।
बदलती अवधारणा (Changing Concept): आजकल अदालतें संप्रभु और गैर-संप्रभु कार्यों के बीच अंतर करना मुश्किल मानती हैं और ज़्यादातर सरकारी कार्यों को गैर-संप्रभु मानकर राज्य पर दायित्व बढ़ा रही हैं, जिससे नागरिकों को राहत मिल सके।
उदाहरण (Example): यदि सरकारी वाहन की लापरवाही से दुर्घटना हो जाए या सरकारी कर्मचारी की गलती से संपत्ति का नुकसान हो, तो राज्य पर मुकदमा हो सकता है।
राज्य के गलत कार्यों (अपकृत्यों) के लिए भी अब कानूनी ज़िम्मेदारी तय होती है, विशेषकर जब कार्य संप्रभु प्रकृति के न हों और इनसे नागरिकों को नुकसान हो।


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