सबसे पहला दिवस न्यूयॉर्क नगर में 1909 में एक समाजवादी राजनीतिक कार्यक्रम के रूप में
८ मार्च को विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के प्रति सम्मान, प्रशंसा और प्रेम प्रकट करते हैं।अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर टेलीकास्ट टूडे की ओर से शुभकाॅंमनाये
अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस प्रतिवर्ष, ८ मार्च को विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के प्रति सम्मान, प्रशंसा और प्रेम प्रकट करते हुए, महिलाओं के आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक उपलब्धियों एवं कठिनाइयों की सापेक्षता के उपलक्ष्य में उत्सव के तौर पर मनाया जाता है।
इसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा चयनित राजनीतिक और मानव अधिकार विषयवस्तु के साथ महिलाओं के राजनीतिक एवं सामाजिक उत्थान के लिए मनाया जाता हैं। कुछ लोग बैंगनी रंग के रिबन पहनकर इस दिन का जश्न मनाते हैं। सबसे पहला दिवस, न्यूयॉर्क नगर में 1909 में एक समाजवादी राजनीतिक कार्यक्रम के रूप में आयोजित किया गया था। 1917 में सोवियत संघ ने इस दिन को एक राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया, और यह आसपास के अन्य देशों में फैल गया। इसे अब कई पूर्वी देशों में भी मनाया जाता है।वरिष्ठ एथलीट बजरंग पूनिया की पोस्ट
महिला दिवस सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि दुनिया की आधी आबादी के हक़, संघर्ष और सम्मान का प्रतीक है। जिसे लड़कर हासिल किया गया है।यह उन तमाम लड़ाइयों को याद करने का दिन है, जिन्होंने महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए खड़े होने की ताकत दी। 1908 में न्यूयॉर्क की सड़कों पर जब हजारों महिलाओं ने काम के बेहतर हालात, बराबरी की मजदूरी और मतदान के अधिकार की मांग उठाई, तब इस आंदोलन की शुरुआत हुई। यह आग दुनिया भर में फैली और 1917 में रूस की महिलाओं की हड़ताल के बाद 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया गया। लेकिन क्या से संघर्ष खत्म हो गया? नहीं,संघर्ष आज भी जारी है और समानता आने तक जारी रहेगा। महिला पहलवानों का आंदोलन भी इसी की कड़ी था। महिला पहलवानों ने न्याय के लिए आवाज़ उठाई, लड़ाई लड़ी। वो सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि हर उस महिला के लिए लड़ीं, जो अन्याय के खिलाफ खड़ी होती है। चाहे खेतों में काम करने वाली मज़दूर हों, फैक्ट्री में अपने हक़ के लिए खड़ी महिलाएँ हों, दफ्तरों में बराबरी की लड़ाई लड़ रही हों या घर के भीतर अपने फैसले खुद लेने का अधिकार मांग रही हों—हर जगह संघर्ष जारी है। महिला दिवस का असली मतलब सिर्फ बधाइयों तक सीमित नहीं है। अगर सच में बदलाव चाहते हैं, तो सिर्फ कानूनों से काम नहीं चलेगा, सोच बदलनी होगी, व्यवस्था बदलनी होगी। जब हर महिला बिना डर और भेदभाव के जी सकेगी, तभी महिला दिवस का असली मकसद पूरा होगा।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस, जिसे हर वर्ष 8 मार्च को मनाया जाता है, महिलाओं की उपलब्धियों को सम्मानित करने और उनके अधिकारों, समानता, और सशक्तिकरण की ओर ध्यान आकर्षित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। इस दिन को सबसे पहले 1908 में न्यूयॉर्क में महिलाओं के प्रदर्शन के माध्यम से शुरू किया गया था, जिसमें महिलाओं ने अपने लिए वोट देने का अधिकार और बेहतर कार्य परिस्थितियों की मांग की थी।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की 2025 की थीम "Accelerate Action" है, जो महिलाओं के अधिकारों को और मजबूत करने के लिए तेजी से कदम उठाने का आह्वान करती है। यह स्थिति महिलाओं के विकास में तेजी लाने और समान अधिकार सुनिश्चित करने के महत्व को रेखांकित करती है।
इसी दिन 1975 में संयुक्त राष्ट्र ने इसे आधिकारिक रूप से मान्यता दी, जिसका उद्देश्य महिलाओं के अधिकारों को पहचानना और लैंगिक समानता को बढ़ावा देना था।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का मुख्य उद्देश्य महिलाओं की सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, और राजनीतिक उपलब्धियों का जश्न मनाना और उनके खिलाफ होने वाले भेदभाव को समाप्त करना है。 यह दिन महिलाओं के प्रति समाज में सम्मान व्यक्त करने और उनकी भूमिका को मान्यता देने का एक अवसर है। इस दिन विभिन्न कार्यक्रमों, सेमिनार, और प्रदर्शनियों का आयोजन होता है, जो महिला सशक्तिकरण और लैंगिक समानता पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस महिलाओं की सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो हमें याद दिलाता है कि महिलाओं को सम्मान, समानता और अधिकारों के लिए संघर्ष करना कभी बंद नहीं होना चाहिए। यह दिन एक ओर जहाँ महिलाओं की उपलब्धियों को सेलिब्रेट करता है, वहीं दूसरी ओर उन्हें शक्ति और आत्मनिर्भरता के लिए प्रेरित करने का कार्य भी करता है। इसलिए, हर दिन महिलाओं के प्रति सम्मान और समर्थन एक आवश्यकता है, न कि केवल एक दिन की बात।
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